अतिथि विद्वानों के साथ विश्वासघात, नए आवेदन मंगाना बेहद निराशाजनक: महासंघ - MP karmchari news

भोपाल
: अतिथि विद्वान महासंघ ने एक प्रेस रिलीज में कहा कि, मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग ने 2 सितम्बर को एक कैलेंडर जारी किया है, जिसके अनुसार पोर्टल से पंजीकृत नए आवेदक भी अब अतिथि विद्वान के रूप में आवेदन कर सकेंगे। यह निर्णय उन हजारों अतिथि विद्वानों के भविष्य के साथ गंभीर खिलवाड़ है, जो दशकों से अत्यल्प मानदेय पर सेवा दे रहे हैं। अतिथि विद्वान महासंघ ने उच्च शिक्षा विभाग के भर्ती कैलेंडर को कार्यरत अतिथि विद्वानों के साथ विश्वासघात बताया है।

पुराने अतिथि विद्वानों को सेवा से बाहर करना चाहते हैं

गौरतलब है कि प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री Dr Mohan Yadav, जब शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री थे, तब उन्होंने अतिथि विद्वानों की सेवा को सुरक्षित करने के कई घोषणाएँ की थीं। किंतु आज तक उस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गय। फालन-आउट की समस्या लगातार गंभीर रूप ले रही है। वर्षों से सेवाएँ दे रहे विद्वानों को सुरक्षित करने की बजाय शासन नए लोगों की भर्ती कर रहा है,जिससे उनका भी भविष्य असुरक्षित और अंधकारमय हो जाएगा। इस नीति के पीछे सरकार की दूषित मानसिकता झलकती है कि धीरे-धीरे नए अतिथि विद्वानों को ऊँची मेरिट के नाम पर लाकर पुराने विद्वानों को प्रतिस्पर्धा में धकेल दिया जाए और फिर उन्हें सेवा से बाहर कर दिया जाए। 

अतिथि विद्वान महासंघ ने दोहराया

  • वर्तमान मुख्यमंत्री और वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष दोनों उच्च शिक्षा मंत्री रहते अतिथि विद्वानों को मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा का करंदर बताते थे।
  • शिवराज जी एक मिनट में नियमितीकरण हो जाने की बात करते थे।
  • सिंधिया जी अतिथिविद्वानों का नियमितीकरण नहीं होने पर सड़क पर उतरने की बात करते थे।

डॉ जेपीएस चौहान, महासचिव, अतिथि विद्वान महासंघ ने कहा: 
दुर्भाग्यपूर्ण है कि वर्तमान मुख्यमंत्री भी पूर्व में उच्च शिक्षा मंत्री रह चुके हैं और वर्तमान पीसीसी चीफ भी उच्च शिक्षा मंत्री रह चुके हैं।बावजूद इसके,दो दशकों से अधिक समय से दिहाड़ी मजदूरी की तरह काम कर रहे अतिथि विद्वानों की समस्या का समाधान आज तक नहीं निकाला जा सका। शासन की संवेदनहीनता और उदासीनता प्रदेश के उच्च शिक्षा तंत्र के लिए बेहद चिंताजनक है। 

उपाध्यक्ष डॉ अविनाश मिश्रा महासंघ ने कहा:
सरकार ने अतिथि विद्वानों को कहीं का नहीं छोड़ा। आज़ हमारे पढ़ाए अतिथि विद्वान, असिस्टेंट प्रोफेसर सहित विभिन्न पदों में जा रहें है और हमको दूध की मख्खी जैसे बाहर निकाल रहें है। कार्यरत विद्वानों के हित में निर्णय लेना चाहिए सरकार को तो ये पुराने को निकालने की योजना बना रहें है। 

मुख्यमंत्री, मंत्री, पीसीसी चीफ एवं नेता प्रतिपक्ष बैठकर एकमत से लें निर्णय

अतिथि विद्वान महासंघ के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ आशीष पाण्डेय ने कहा की अगर सरकार के बस में ना हो तो ओबीसी आरक्षण मुद्दे जैसे एकसाथ होकर निर्णय लें। डॉ पाण्डेय ने जोर देकर कहा की मुख्यमंत्री ज़ी, उच्च शिक्षा मंत्री ज़ी, पीसीसी चीफ, नेता प्रतिपक्ष साथ में बैठे और अतिथि विद्वानों के स्थाइत्व समायोजन नियमितीकरण के लिए आदेश जारी करें। क्योंकि कांग्रेस भाजपा दोनों ही विद्वानों के मुद्दे से प्रभावित हुई थी सरकारें बनी थी बिगड़ी थी मंत्री मुख्यमंत्री बने थे।

भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
फेसबुक पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!