भोपाल नगर निगम की पूर्व अपर आयुक्त एवं ग्वालियर नगर निगम की वर्तमान अपर आयुक्त सुश्री निधि सिंह के खिलाफ EOW जांच की तैयारी शुरू हो गई है। सिटी बस रूट घोटाले में निधि सिंह को दोषी पाया गया है। मध्य प्रदेश शासन के आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने डिपार्टमेंट से अनुमति मांगी है। निधि सिंह 2019 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। यह मामला नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग और परिवहन विभाग से जुड़ा हुआ है इसलिए दोनों विभाग अपने स्तर पर जांच नहीं कर सकते। निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए एजेंसी की जांच जरूरी है।
भोपाल में निंदा प्रस्ताव के बाद निधि सिंह को हटा दिया था
13 दिसंबर 2024 को निगम परिषद की बैठक में एमआईसी सदस्य मनोज राठौर ने BCLL से जुड़ी गड़बड़ियों का मामला उठाया और निधि सिंह के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पेश किया था। परिषद ने प्रस्ताव पारित कर दिया था। इसके एक महीने बाद मध्य प्रदेश शासन ने भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी निधि सिंह को पद से हटा दिया था। निधि सिंह 2019 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। इसी दौरान ईओडब्ल्यू में भी शिकायत दर्ज हुई था। आरोप लगाया गया था कि तत्कालीन आरटीओ संजय तिवारी और निधि सिंह ने बस ऑपरेटरों से सांठ-गांठ कर लाखों की टैक्स चोरी कराई है। इस मामले में मध्य प्रदेश शासन के आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने नगरीय विकास एवं आवास विभाग को पत्र लेकर पूछा था कि इस मामले में अभियोजन के लिए यदि हमारी जांच की जरूरत है तो बताएं।
फाइल से वजन हटा तो चल पड़ी
मध्य प्रदेश में आम आदमी हो या अधिकारी, सिस्टम सबके लिए समान है। फाइल पर यदि वजन रखा रहेगा तो फाइल तभी रहेगी। वजन हटा तो चल पड़ेगी। EOW ने यह पत्र जुलाई 2024 में लिखा था। इसमें स्पष्ट लिखा था कि जो कुछ हुआ है वह नियम विरुद्ध है। भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है। इसमें आरटीओ संजय तिवारी, नगर निगम आयुक्त निधि सिंह और BCLL के अधिकारियों की मिली भगत हो सकती है। इस प्रकार EOW ने स्पष्ट कर दिया था कि यह मामला किसी एक विभाग द्वारा इंटरनल इंक्वारी से खत्म नहीं होगा। प्रोटोकॉल का पालन करते हुए EOW ने अनुमति मांगी थी परंतु या फाइल पूरे 13 महीने तक मंत्रालय में दबी रही। अब डिपार्टमेंट में नगर निगम के कमिश्नर से जानकारी मांगी है। जबकि कमिश्नर खुद अपने झमेले में फंसे हुए हैं।