मध्य प्रदेश में आउटसोर्स कर्मचारी और सभी प्रकार के अस्थाई कर्मचारी कमजोर नेतृत्व का शिकार हो गए हैं इसलिए उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है। आउटसोर्स अस्थाई अंशकालीन ग्राम पंचायत कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने 7 सितंबर को भोपाल में आंदोलन का बड़ा ऐलान किया था लेकिन नेतृत्व इतना कमजोर था कि प्रदर्शन की परमिशन भी नहीं ले पाया। मोर्चा के कार्यवाहक अध्यक्ष डॉ. अमित सिंह ने 6 तारीख को एक प्रश्नोत्तरी करके इसकी सूचना दी। इसका अर्थ हुआ कि भोपाल पुलिस कमिश्नर से चर्चा के बिना ही आंदोलन का ऐलान कर दिया था और लास्ट डेट तक परमिशन का इंतजार कर रहे थे।
नीलम पार्क में धरना-प्रदर्शन: सिर्फ बयान बाजी
संगठन की ओर से 6 सितंबर को जारी किए गए प्रेस रिलीज में मोर्चा अध्यक्ष श्री वासुदेव शर्मा ने बताया कि 7 सितम्बर को भोपाल के नीलम पार्क में प्रस्तावित शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन की अनुमति पुलिस प्रशासन ने निरस्त कर दी है। लेकिन प्रेस रिलीज के साथ उनके संगठन को नीलम पार्क में धरना प्रदर्शन करने की अनुमति, और उसे निरस्त कर देने का पत्र संलग्न नहीं किया गया। बस बयान है। जबकि संलग्न डॉक्यूमेंट इस बयान की पोल खोलता है। उसके अनुसार प्रदर्शन की अनुमति दी ही नहीं गई थी। इसकी जानकारी पुलिस द्वारा संगठन को, 30 अगस्त को दे दी गई थी। यानी नेताओं ने 1 सितंबर से 6 सितंबर तक, कर्मचारियों को और मीडिया को उल्लू बनाया।
कर्मचारी नेता ने आवेदन ही ऐसा लिखा था कि निरस्त हो जाए
सोशल मीडिया के जरिए एक डॉक्यूमेंट मिला है, जिसके अनुसार नीलम पार्क में प्रदर्शन की अनुमति मिली ही नहीं थी। ACP ने 30 अगस्त को ही इस बात की जानकारी दे दी थी। इसमें कारण बताते हुए लिखा भी था कि, आवेदक द्वारा दिनांक 08.09.2025 को कर्मचारी द्वारा अलग-अलग विभागीय कार्यालयों पर धरना देने की जानकारी दी किन्तु विभागीय कार्यालयों का स्पष्ट उल्लेख नहीं होने से एवं कार्यालयीन कार्यों के बाधित होने की स्थिति जनित होने से विभागीय कार्यालयों पर धरना देने की अनुशंसा नहीं की जाती हैं। इसी प्रकार मंत्री/सांसद/विधायकों के निवास क्षेत्र होने के कारण सुरक्षा की दृष्टि से ज्ञापन सौंपने हेतु उचित स्थान नहीं है इसलिए दिनांक 09.09.2025 को विभागीय मंत्रियों के बंगलों पर धरना देकर ज्ञापन सौंपने की अनुमति देना भी उचित प्रतीत नहीं होता हैं। (कुल मिलाकर आवेदन ही ऐसा लिखा गया था कि वह अपने आप निरस्त हो जाए।)
सरकार डर गई या डॉ. अमित सिंह?
प्रेस रिलीज में मोर्चा के कार्यवाहक अध्यक्ष डॉ. अमित सिंह ने कहा “भाजपा सरकार अस्थाई कर्मचारियों की एकजुटता और आंदोलनकारी अभियान से डर गई है। सवाल तो बनता है कि सरकार डर गई या डॉक्टर अमित सिंह डर गए। यदि डॉक्टर अमित सिंह नहीं डरे होते तो परमिशन नहीं मिलने के विरोध में आज आमरण अनशन पर बैठ गए होते। खाली बयान बाजी वाली नेतागिरी कब तक चलेगी।
मध्य प्रदेश के आउटसोर्स और अस्थाई कर्मचारियों को नए नेता की जरूरत
मध्य प्रदेश में करीब 12 से 15 लाख अस्थाई, आउटसोर्स और अंशकालीन कर्मचारी कार्यरत हैं। इनमें ग्राम पंचायत चौकीदार, सफाई कर्मी, कार्यालय सहायकों से लेकर विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदा और आउटसोर्स कर्मचारी शामिल हैं। मध्य प्रदेश में पंचायत राज व्यवस्था लागू हुए 31 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन आज तक पंचायत चौकीदार, चपरासी और अन्य कर्मचारियों की सेवा-शर्तों और श्रेणी का निर्धारण नहीं किया गया है। यह सब कुछ इसलिए हुआ क्योंकि, इन कर्मचारियों के पास मजबूत नेतृत्व नहीं है। इन सभी कर्मचारियों को एक नए नेता की जरूरत है। ऐसा नेता जो कर्मचारी के साथ नहीं बल्कि कर्मचारियों के हित में राजनीति करे।
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