Chandra Grahan 2025 FAQ: सूतक काल टाइम, क्या करें क्या ना करें, राशि के अनुसार मार्गदर्शन

Bhopal Samachar
आज दिनांक 7 सितंबर 2025 को चंद्र ग्रहण है। दोपहर 12:00 बजे से सूतक प्रारंभ हो जाएगा। समय में भारत की भौगोलिक स्थिति के अनुसार 20 मिनट का अंतर हो सकता है। आईए ज्योतिष के "आचार्य कमलांश" से जानते हैं कि सूतक काल क्या होता है, सूतक काल के दौरान और चंद्र ग्रहण के दौरान क्या करें क्या ना करें एवं राशि के अनुसार मार्गदर्शन:- 

Sutak Kaal क्या होता है

आचार्य कमलांश बताते हैं कि यह वर्ष 2025 का दूसरा एवं अंतिम चंद्र ग्रहण है जो भारत में दिखाई देगा। इसलिए यह राशि के अनुसार शुभ अशुभ प्रभाव डालेगा और भारत में सूतक भी लगेगा। भारत की सामाजिक परंपरा में सामान्य तौर पर परिवार में जन्म अथवा मृत्यु हो जाने पर सूतक लगता है। ग्रहण को भी एक प्रकार से मृत्यु और जन्म माना जाता है। इसलिए सूतक लगता है। जन्म का सूतक 10 दिन और मृत्यु का सूतक पारिवारिक परंपरा के अनुसार 10 से 13 दिन तक रहता है। चंद्र ग्रहण की स्थिति में 9 घंटे का सूतक होता है जबकि सूर्य ग्रहण की स्थिति में 12 घंटे का सूतक होता है। 

चंद्र ग्रहण के सूतक काल में क्या करें क्या ना करें

चंद्र ग्रहण का सूतक केवल उसी स्थान पर लागू होता है जहां पर चंद्र ग्रहण दिखाई देगा। गर्भवती महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों के लिए सूतक शाम 6:36 बजे से प्रभावी होगा। इस अवधि में इस अवधि में भोजन, पूजा, जल व दान करना वर्जित बताया गया है। 
  • सूतक काल में भोजन बनाना वर्जित है। 
  • सूतक काल में खाना खाना वर्जित है। 
  • सूतक काल अर्थात 9 घंटे का उपवास। 
  • सूतक काल में मंदिरों के पट बंद रहते हैं। 
  • सूतक काल में घर के अंदर पूजा पाठ वर्जित है। 
  • सूतक काल में कोई नया कार्य नहीं किया जाता। 
  • सूतक काल में कोई भी विवाह अथवा शुभ संस्कार वर्जित है। 
ज्योतिष शास्त्र में मान्यता है कि ग्रहण के कारण पृथ्वी के अंदर पर्यावरण में शुद्धता प्रभावित होती है। इसका अभी तक पूरा अध्ययन नहीं किया गया है कि यह किस प्रकार से मनुष्य को प्रभावित करता है, लेकिन पूर्व में कुछ घटनाएं ऐसी हुई है जिसको ग्रहण के कारण हुई घटना माना जाता है। इसलिए सूतक काल के दौरान सभी प्रकार के काम बंद करके अपने घर के अंदर सुरक्षित रहना चाहिए। 

चंद्र ग्रहण दुनिया के कितने देश में दिखाई देगा

इस बार का चंद्र ग्रहण भारत सहित पूरे एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका में साफ दिखाई देगा। इसके अलावा पश्चिमी, उत्तरी और पूर्वी अमेरिका, अटलांटिक, हिंद महासागर, प्रशांत महासागर और अंटार्कटिका क्षेत्र में भी इसकी झलक देखी जा सकेगी। खास तौर पर भारत, चीन, बांग्लादेश, म्यांमार, इंडोनेशिया, थाईलैंड, जापान, रूस, जर्मनी, तुर्की, फ्रांस, इटली, स्पेन, ब्रिटेन और नाइजीरिया जैसे देशों में यह खग्रास रूप में नज़र आएगा। वहीं पुर्तगाल, ब्राजील और अमेरिका के कुछ हिस्सों में यह आंशिक रूप से दिखाई देगा। खग्रास रूप का तात्पर्य है पूर्ण चंद्र ग्रहण यानी चंद्रमा की छाया पृथ्वी के इस हिस्से पर पूरी तरह से दिखाई देगी और पृथ्वी के इस हिस्से को प्रभावित करेगी।

Chandra Grahan के दिन चंद्र दोष से मुक्ति 

जिन लोगों की जन्मपत्रिका में चंद्र दोष है, वह लोग चंद्र दोष से मुक्ति के लिए सफेद वस्तुओं का दान करें। ऐसे लोग जिनके मन अस्थिर है अथवा चंचल है। इस प्रकार के सभी लोगों को चंद्र ग्रहण के बात सफेद वस्तुओं का दान करना चाहिए। उदाहरण के लिए चावल, चीनी, दूध, चांदी, सफेद कपड़े, नारियल और दही इत्यादि। 

chandra grahan 2025 in india date and time 

चंद्र ग्रहण कैलेंडर के अनुसार 8 सितंबर को 1:26am पर समाप्त होगा। यह खग्रास चंद्र ग्रहण होगा, अर्थात पृथ्वी और सूर्य के ठीक बीच में चंद्रमा आएगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह ग्रहण कुम्भ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र पर घटित होगा। चंद्र ग्रहण शनि देव की राशि कुंभ और देवगुरु बृहस्पति के नक्षत्र पूर्वाभाद्रपद में लगने वाला है।
  1. ग्रहण का आरंभ (स्पर्श): रात्रि  9: 57 मिनट पर
  2. ग्रहण का मध्य (चरम अवस्था): रात्रि 11:01 मिनट पर
  3. ग्रहण का समापन: रात्रि 01:26 मिनट पर
  4. ग्रहण की कुल अवधि: 3 घंटे 29 मिनट तक 

चंद्र ग्रहण के दौरान क्या करें क्या ना करें

  • पीपल, तुलसी और बरगद जैसे पवित्र वृक्षों को न छुएं।
  • देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को स्पर्श करने से बचें।
  • गर्भवती महिलाएं घर से बाहर न निकलें और नुकीली चीजों का प्रयोग न करें।
  • बाल और नाखून काटना अशुभ माना जाता है, इसलिए इससे बचें।
  • ग्रहण के दौरान शारीरिक परिश्रम कम करें।
  • इस समय यात्रा करने से बचना शुभ माना गया है। 

क्या चंद्र ग्रहण वाले दिन पितृपक्ष श्राद्ध तर्पण कर सकते हैं

चूंकि ग्रहण का साया भारत पर बना हुआ है, इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य होगा। ऐसे में 7 सितंबर 2025 को सूतक काल दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से शुरू होगा। इसके प्रारंभ होने पर किसी भी तरह की शुभ काम, खरीदारी, पूजा-पाठ, मंदिरों में जाना आदि कार्य नहीं करने चाहिए। इसलिए आप इस दिन दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से पहले पहले श्राद्ध, पिंडदान, पवित्र नदियों में स्नान व तर्पण आदि पुण्य काम कर सकते हैं।

चंद्र ग्रहण का राशिफल एवं निर्देश

  • वृषभ राशि: स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं, व्यापार में रुकावट या नुकसान संभव है। 
  • तुला राशि: मानसिक तनाव बढ़ सकता है, पैसे से जुड़ी हानि हो सकती है। 
  • कुंभ राशि: इस राशि पर ग्रहण का सीधा प्रभाव है, समय बहुत संवेदनशील है, संभलकर रहना जरूरी है। 
मिथुन, कर्क, सिंह, तुला, वृश्चिक, मकर, कुंभ और मीन राशि के जातकों को चंद्र ग्रहण के दौरान सावधानियां बरतनी होगी। 
उपरोक्त सभी राशियों वाले लोग निम्न बातों का ध्यान रखें:- 
  • इस दौरान  कोई भी यात्रा न करें।
  • किसी नए कार्य को शुरू करने का  विचार है तो फ़िलहाल के लिए स्थगित कर दें। 
  • व्यापार में चुनौतियां आ सकती हैं।
  • काम को पूरा करने में दिक्कतें आएंगी।
  • किसी से भी कोई जानकारी साझा न करें। 

चंद्र ग्रहण मेष, कन्या और धनु राशि वालों के लिए शुभ

यह चंद्र ग्रहण मेष, कन्या और धनु राशि वालों के लिए शुभ रहने वाला है। इन राशि के जातकों को धन लाभ, करियर-कारोबार में सफलता मिलेगी।  इसके साथ ही वैवाहिक सुख और निवेश में मनचाहा लाभ संभव है। इसके अलावा अटके काम पूरे और भाग्योदय के भी योग बन रहे हैं। 

चंद्र ग्रहण का कुंभ राशि पर प्रभाव 

राहु और चंद्रमा की युति के कारण यह चंद्र ग्रहण कुंभ राशि के जातकों के लिए सबसे अधिक अशुभ योग उत्पन्न कर रहा है। चंद्र ग्रहण के निर्देशों का उल्लंघन होने पर कुंभ राशि के जातकों को चोट, दुर्घटना, करियर में बाधा, शत्रु-कटुता, मानसिक अस्थिरता एवं शारीरिक अस्वस्थता का सामना करना पड़ सकता है। सटीक अनुमान जन्म कुंडली के आधार पर ही बताया जा सकता है परंतु किसी भी स्थिति में यह चंद्र ग्रहण कुंभ राशि के जातकों के लिए शुभ नहीं है। 

चंद्र ग्रहण के दौरान तुलसी

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण काल में तुलसी अशुद्धता और नकारात्मकता से बचाने वाली मानी जाती है। दूध, जल या भगवान को अर्पित भोग में तुलसी दल डालने से वे ग्रहण के प्रभाव से शुद्ध बने रहते हैं। इसलिए ग्रहण से पहले तुलसी का प्रयोग आवश्यक और शुभ माना जाता है।

Chnadra Grahan Mantra Jaap: चंद्र ग्रहण के समय राशि अनुसार मंत्र जाप

  • मेष राशि: ॐ नमः शिवाय शिवाय नमः
  • वृषभ राशि: ॐ श्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः
  • मिथुन राशि: ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
  • कर्क राशि: ॐ गं गणपतये नमः
  • सिंह राशि: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
  • कन्या राशि: ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय नमः
  • तुला राशि: ॐ क्लीं क्लीं श्रीकृष्णाय नमः
  • वृश्चिक राशि: ॐ ह्रीं महाभैरवाय नमः
  • धनु राशि: ॐ ह्रीं श्रीं बृं बृहस्पतये नमः
  • मकर राशि: ॐ श्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः
  • कुंभ राशि: ॐ प्रां प्रीं प्रौं शं शनैश्चराय नमः
  • मीन राशि: ॐ बृं बृहस्पतये नमः 

क्या चंद्र ग्रहण में पूर्णिमा का व्रत रख सकते हैं

चंद्र ग्रहण एवं सूर्य ग्रहण में सूतक काल, उपवास का काल ही होता है। इसलिए पूर्णिमा का व्रत अवश्य रख सकते हैं, कथा कर सकते हैं, मंत्र जाप और भजन कर सकते हैं, लेकिन चंद्रमा की अथवा अपने इष्ट देव की पूजा नहीं कर सकते। यदि पूजा करना चाहते हैं तो रात्रि 1:30 बजे के बाद कर सकते हैं। पूर्णिमा के व्रत का दान 8 सितंबर को सूर्योदय के बाद करेंगे। चंद्र ग्रहण के बाद पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करके, शुद्ध करके दिनचर्या प्रारंभ कर सकते हैं। 

Chandra Grahan: गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष निर्देश 

गर्भवती महिलाएं किसी भी राशि की हो, चंद्र ग्रहण का सूतक एवं सभी प्रकार के निषिद्ध प्रभावित होंगे। इसका मुख्य कारण यह होता है की माता के गर्भ में जो शिशु है, उसकी राशि क्या होगी, उसके जन्म के बाद ही निश्चित होगा परंतु उसका जीवन प्रारंभ हो चुका है। चंद्रमा पृथ्वी पर जल और मनुष्य के मन को प्रभावित करता है। मनुष्य के शरीर में 60% जल तत्व होता है। गर्भवती महिला के लिए जल तत्व अत्यंत आवश्यक है क्योंकि इसी के कारण शिशु सुरक्षित होता है। इसलिए गर्भवती महिला के लिए राशि विचार नहीं किया जाता। सतर्कता के साथ की दृष्टि से 3 माह से अधिक अवधि वाली सभी गर्भवती माता के लिए चंद्र ग्रहण के निषिद्ध लागू होते हैं।

Chandra Grahan: क्या वैज्ञानिकों की बात मानना चाहिए 

इसमें कोई दो राय नहीं की वैज्ञानिक तर्कसंगत बात करते हैं परंतु जिस प्रकार एक अंधविश्वासी, अपने विश्वास के आगे कोई तर्क नहीं मानता इस प्रकार आधुनिक युग के वैज्ञानिक, अपने तर्क से अधिक किसी भी ज्ञान पर विश्वास नहीं करते। यही वैज्ञानिक पहले कहते थे की धरती सपाट है, सूर्य पृथ्वी के चक्कर लगाता है। इसके अलावा पिछले 10 सालों में वैज्ञानिकों की 100 से अधिक थ्योरी गलत साबित हुई है जो उन्होंने पिछले 100 सालों में अपने तर्कों के आधार पर सही साबित कर दी थी। 

सारी दुनिया को नष्ट कर देने वाला परमाणु बम बनाने वाले वैज्ञानिक आज तक अपनी लैब में एक गिलास पानी नहीं बना पाए। ड्रिंकिंग वॉटर के लिए इन वैज्ञानिकों को आज भी देवता पर निर्भर होना पड़ता है, क्योंकि भारतीय धर्म ग्रंथो में लिखा है कि मनुष्यों के लिए पेयजल देवताओं द्वारा उत्पादित किया जाता है। यदि वैज्ञानिक इस मान्यता पर अविश्वास करते हैं तो उनको अपनी लैब में पानी बनाकर दिखाना होगा। तभी तो हम वैज्ञानिकों पर विश्वास कर पाएंगे।

इस प्रकार आधुनिक विज्ञान अभी अध्ययन की प्रक्रिया में है। उसकी परिपक्वता में काफी समय शेष है। इसलिए वैज्ञानिकों की बात मानना चाहिए परंतु यह भी देखना चाहिए कि कौन सा वैज्ञानिक किस विषय में क्या बात कर रहा है।

यदि चंद्र ग्रहण को लेकर आपके कोई प्रश्न है तो कृपया नीचे दिए गए व्हाट्सएप नंबर पर पूछें। हम यहीं पर उसका उत्तर अपडेट करेंगे।
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