धर्म के पथ पर चलने के लिए स्वयं को तपाना पड़ता है - दिव्य चिंतन by हरीश मिश्र

Bhopal Samachar
जीवन में कोई भी नशा अधिक किए जाने पर पतन निश्चित है। जीवन में पतन की शुरुआत नशे से होती है। किसी ने लिखा है "नशा न नर को चाहिए, देह, बुद्धि हर लेही " नशा दौलत का, नशा शोहरत का, नशा बाहुबल का, नशा सत्ता का, नशा शराब का, नशा कबाब का, नशा अहंकार का, नशा ज्ञान का, नशा पद का, नशा प्रतिष्ठा का जब उतरता है ,तब तक जीवन में बहुत देर हो जाती है और पतन शुरू हो जाता है। इसलिए दौलत, शोहरत, बाहुबल, सत्ता, शराब, कबाब, अंहकार, ज्ञान, पद और प्रतिष्ठा का नशा नहीं करना चाहिए। 

मनुष्य के रूप में जीवन एक संघर्ष है। इस संघर्ष में वही मनुष्य सफल हो सकता है जो धर्म के पथ पर चले। उसकी जीत सुनिश्चित होती है जिसके आदर्श ऊंचे होते हैं। सफलता उसकी निश्चित है  जिसके पास नैतिक बल  है। आदर्श और नैतिक बल से अनैतिक नशा करने वालों को सबक सिखाया जा सकता है। इसमें संशय नहीं है। दूसरी तरफ जिनकी आजीविका का साधन निकृष्ट होता है। वह पतीत होते हैं। चाहे वह कितने ही बलशाली क्यों ना हों। उनका नशा इस जग में जरूर उतरता है। जितनी तेजी से भौतिक समृद्धि प्राप्त करते हैं। उतनी ही तेजी से उनका पतन होता है।

महाभारत का अध्ययन के बाद शोधकर्ताओं का अभिमत है की पांडव पांच थे। किंतु उनके आदर्श ऊंचे थे। उनका संकल्प, सत्य संकल्प था। इसलिए विजयी हुए। कौरव सौ थे। संख्या बल में अधिक थे। किंतु उनमें कुटिलता थी, चतुराई थी, चालाकी थी और सत्ता का नशा था। इसीलिए उनकी पराजय हुई। जीवन में धर्म के पथ पर आप कदम रखें जीत निश्चित है। अधर्म के मार्ग पर चलना या उसका साथ देना भी पाप है। यह भी एक नशा होता है कि हम अनाचारी की ताकत, बाहुबल के कारण असत्य का साथ देते हैं। ये ही पतन,  विनाश का कारण है। 

धर्म क्या है। अधर्म क्या है। धर्म के पथ पर चलने के लिए स्वयं को तपाना पड़ता है। जबकि अधर्म के पथ पर बढ़ने के लिए दूसरों को सताना पड़ता है।

सामान्य जन धर्म उसे समझते हैं। जहां लोग मस्जिद जाते हैं, नमाज पढ़ते हैं। मंदिर जाते हैं, पूजा-पाठ करते हैं। पर यह गलत है। मस्जिद- मंदिर जाने वाला व्यक्ति ही पाक साफ हो, कह नहीं सकते। मस्जिद और मंदिर में जाने के स्थान पर आंतरिक शुद्धि करण की आवश्यकता होती है। शुद्धिकरण के लिए मन के पवित्रीकरण की जरूरत होती है। जब तक मन पवित्र नहीं है। तब तक मस्जिद या मंदिर जाकर भी मनुष्य पवित्र नहीं हो सकता। मछली जीवन भर जल में रहती हैं लेकिन दुर्गंध उसका सबसे बड़ा अवगुण है। उसी प्रकार नमाजी होना या मंदिर जाने वाला व्यक्ति पवित्र ही हो यह आवश्यक नहीं।

महाभारत में भीष्म पितामह को सत्य ,संकल्प और धर्म परायण माना जाता था । इसी कारण वे देवव्रत के स्थान पर भीष्म पितामह के नाम से प्रख्यात हुए। वह एक सच्चे धर्मात्मा थे। धर्म के प्रति उनकी आस्था थी। उनका जीवन पवित्रता और पावनता का प्रतीक था। उनके जीवन का प्रत्येक पल अधर्म से दूर था। किंतु इतना समर्थ एवं सशक्त योद्धा होते हुए भी दुर्योधन के अनेक दुष्ट कृत्यों में से एक का भी विरोध नहीं करने के कारण पतित हो गए। अधर्म का साथ देना या मूक हो कर समर्थन करना भी पतित या अपवित्र होना है। उसका परिणाम दुर्योधन की रक्षा कर सके ना स्वयं की।

महाभारत में द्रोणाचार्य की स्थिति भी ऐसी ही थी। वे गुरु थे। ब्राह्मण थे। शास्त्र के प्रकांड ज्ञानी और विद्वान थे। धर्म और अधर्म के ज्ञाता थे। शस्त्र विद्या में पारंगत थे। वह अर्जुन जैसे शिष्य के गुरु थे। किंतु जब धर्म की शिक्षा देना थी । धर्म के साथ खड़ा होना था । तब वह अधर्मी कौरवों के साथ खड़े हो गए। द्रोपदी के चीर हरण पर मौन हो गए , सब कुछ आप अपनी आंखों से देखा । लेकिन अनदेखा कर दिया । परिणाम जिसकी सत्ता के लिए लड़े, ना उनकी सत्ता रही ना अधर्मी।

वस्तुतः नशे का मर्म है-अन्याय, अत्याचार, शोषण । जबकि धर्म का मर्म है-अन्याय का प्रतिकार, अत्याचार का विरोध, शोषण का उन्मूलन। धर्म परमात्मा से मिलन का मार्ग है । नशा पतन और विनाश का।

जीवन के कालखंड में जो संघर्ष से जितना अधिक भागता है ,वह डरपोक व कायर होता है और उस व्यक्ति के जीवन में धर्म नहीं होता। जहां धर्म नहीं वहां कैसी विजय कैसी सफलता  ?  सफलता-असफलता, जय- पराजय सब विधि हाथ है । लेकिन विवेक का उपयोग हमें धर्म के अनुरूप , धर्म के आचरण के रूप में करना चाहिए। संघर्ष के बाद मिली सफलता से शांति मिलती है। इसलिए नशा का त्याग कर धर्म से जुड़े,मन को शांति प्राप्त होगी। (लेखक स्वतंत्र पत्रकार है।) इस विषय पर आपके विचार कृपया नीचे फेसबुक कमेंट बॉक्स में दर्ज कीजिए।
भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
Facebook पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289
Tags

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!