भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी एवं भोपाल नगर निगम के कमिश्नर श्री हरेंद्र नारायण के खिलाफ मध्य प्रदेश शासन के आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में शिकायत दर्ज करवाई गई है। प्रकोष्ठ ने यह शिकायत डिपार्मेंटल इंक्वारी के लिए अपर मुख्य सचिव नगरीय विकास एवं आवास विभाग मंत्रालय वल्लभ भवन भोपाल को भेज दी है। डॉक्यूमेंट इसी समाचार में संलग्न है।
भोपाल नगर निगम में प्रभारी उपायुक्त चंचलेश गिरहरे की नियुक्ति पर सवाल
शिकायतकर्ता राम पाराशर, निवासी कटारा हिल्स भोपाल है। श्री पाराशर ने अपनी शिकायत में लिखा है कि, इंदौर नगर निगम की भाँति भोपाल नगर निगम में भी नियम के विरुद्ध आयुक्त नगर निगम हरेन्द्र नारायण द्वारा प्रभारी उपायुक्त चंचलेश गिरहरे की नियुक्ति की गई है जो की नियमों का उलंघन है। क्योंकि चंचलेश गिरहरे मूल पद सहायक यंत्री होने के साथ साथ नगर निगम भोपाल के मूल कर्मचारी भी नहीं हैं, ऐसी स्थिति में एक प्रतिनियुक्ति पर तैनात कर्मचारी को सामान्य प्रशासन जैसी संवेदनशील शाखा का प्रभार तथा परिवहन शाखा में नियुक्त करना नियम विरुद्ध है। आपसे निवेदन है कि इंदौर नगर निगम में तैनात अधिकारी हर्षिका सिंह आई.ए.एस. एवं दिव्यांक सिंह आई.ए.एस. के ऊपर लोकायुक्त इंदौर द्वारा प्रकरण क्रमांक 31/ ई / क्रमांक 2025 में जाँच की जा रही। चुकी दोनों ही मामले एक समान है तो इंदौर की भाँति भोपाल में भी आई.ए.एस. हरेन्द्र नारायण की संलिप्तता की जाँच की जाए तथा चंचलेश गिरहरे, हरेन्द्र नारायण द्वारा परिवहन शाखा में ठेकों में भारी भ्रष्टाचार किए जाने की जाँच भी तत्काल प्रभाव से किया जाना चाहिए।
आपके संज्ञान में लाना चाहेंगे कि सहायक यंत्री चंचलेश गिरहरे को मूल पद से चार पद की पदोन्नति देकर उपयुक्त बनाया गया। सहायक यंत्री टेक्निकल पोस्ट से प्रशासनिक पद पर पदोन्नत करने में नगरिय प्रशासन विभाग से अनुमति भी प्राप्त नहीं की गई और आयुक्त हरेंद्र नारायण आई.ए.एस. द्वारा मनमाने ढंग से नियमों का उलंघन करते हुए एक सहायक यंत्री के ऊपर विशेष कृपा प्रदान की गई जबकि नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा पूर्ण कालिक उपायुक्त की पोस्टिंग की जा चुकी है फिर भी एक प्रतिनियुक्ति पर तैनात कर्मचारी को उपायुक्त तैनात करने अपने आप में प्रथम दृष्टया नियम विरुद्ध और संदेहास्पद प्रतीत होता है।
निवेदन है की भारतीय न्याय संहिता BNS 2023 की धारा 467,336,340, 61 (2) और PC एक्ट की धारा 13(1)(D) तथा 13 (2) के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज होना चाहिए तथा लोकायुक्त की BNNS 2023 की धारा 173 के तहत FIR कर विस्तृत जाँच की जाए।
शिकायत में जांच के लिए अन्य बिंदु भी दिए गए हैं
1. गाड़ियों की संख्या किस आधार पर तय की गई, अगर सभी ट्रैवल एजेंसी इंपैनल हैं तो सभी को एक
बराबर संख्या में क्यों नहीं गाड़ियों लगाई गईं।
2. रायश्री ट्रेवल्स का महापौर से क्या संबंध है, मेरी जानकारी में ये कंपनी महापौर के पति के भाई (महापौर के देवर) के मालिकाना हक की है।
क्यों कुछ फर्म्स को 6 गाड़ी दी गई और महापौर महोदया के रिश्तेदार की फर्म को क्यों 17 गाड़ी दी गई, इसमें नगर निगम आयुक्त के द्वारा कैसे नियम विरुद्ध तथा संदेहास्पद कार्य करने के लिए क्यों न उनके खिलाफ आर्थिक अपराध शाखा के द्वारा जांच कराई जाए।
कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट: महापौर के रिश्तेदारों को ठेके दिए गए
4. नगर निगम की महापौर होने के नाते उनके परिवारों तथा रिश्तेदारों की फर्म को ठेका दिए जानें पर कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट का स्पष्ट प्रकरण प्रतीत होता है तथा इसमें स्पष्ट रूप से पद का दुरुपयोग होना सिद्ध हो रहा। ऐसी स्थिति में हमारी शासन से मांग ही की महापौर से तुरन्त इस्तीफा लें तथा उनके साथ मिलीभगत कर महापौर को निजी लाभ पहुंचाने के कारण आयुक्त हरेंद्र नारायण को तुरंत हटाया जाए एवं इस पूरे ठेके में वित्तीय अनियमितता की ई.ओ.डब्लू. से तुरन्त जांच कराई जाए। रिपोर्ट शुभम द्विवेदी, नागरिक पत्रकार।