मध्यप्रदेश में OBC वर्ग को 27% आरक्षण देने का मामला आज सुप्रीम कोर्ट में प्लान तो था कि 24 सितंबर से रोज़ाना सुनवाई शुरू होगी, लेकिन अब ये डेट पोस्टपोन होकर 8 अक्टूबर तक चली गई है। अब ये क्या चक्कर है? चलिए, डिटेल में बताते हैं! क्या हुआ कोर्ट में?
मध्य प्रदेश सरकार ने 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर लागू स्थगन हटाने की मांग की
आज सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी और मध्यप्रदेश सरकार के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट से 27% OBC आरक्षण पर लगे इंटिरिम स्टे को हटाने की गुहार लगाई। लेकिन दूसरी तरफ, सामान्य वर्ग के कैंडिडेट्स की ओर से वकील पूजा धर और लेखी ने कोर्ट को बताया कि मप्र सरकार ने मंगलवार रात को ही उन्हें 15,000 पेज की मोटी-मोटी फाइल्स थमा दी। अब इतने सारे डॉक्यूमेंट्स को रिव्यू करने के लिए टाइम तो चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख अंदाज़ में तंज कसा, "हम तो तैयार हैं, लेकिन आप लोग नहीं!" और फिर सुनवाई की अगली डेट 8 अक्टूबर फिक्स कर दी।
क्या है 15,000 पेज की स्टोरी?
सूत्रों की मानें तो इन 15,000 से ज्यादा पन्नों में मप्र सरकार ने OBC को 27% आरक्षण देने के पक्ष में 'असाधारण परिस्थितियों' का ज़िक्र किया है। इसमें OBC कम्युनिटी की सामाजिक और प्रशासनिक भागीदारी से जुड़ा डेटा और कई सारी डिटेल्ड रिपोर्ट्स शामिल हैं। लेकिन अभी तक इसकी कोई ऑफिशियल कन्फर्मेशन नहीं आई है। वैसे, सुप्रीम कोर्ट पहले ही इंदिरा साहनी केस का हवाला दे चुका है, जिसमें साफ कहा गया है कि 50% से ज्यादा आरक्षण देने के लिए 'एक्स्ट्राऑर्डिनरी सर्कमस्टांस' प्रूव करना ज़रूरी है।
कोर्ट का तीखा तेवर: "आप तैयार क्यों नहीं?"
सुप्रीम कोर्ट ने सामान्य वर्ग के वकीलों को फटकार लगाते हुए कहा, "हम तो केस सुनने को तैयार हैं, लेकिन आप लोग ही रेडी नहीं हो। लगातार अंतरिम राहत की डिमांड कर रहे हो, लेकिन कोई ठोस आर्ग्यूमेंट के लिए तैयार नहीं।" कोर्ट ने ये भी टोका कि "आप लोग सीरियस नहीं हो। ये देखो, कौन सीनियर एडवोकेट है, कौन जूनियर, कुछ पता ही नहीं।" इस बीच, OBC वेलफेयर कमेटी ने दावा किया कि आरक्षण के लिए नया एक्ट पास हो चुका है।
छत्तीसगढ़ का केस मध्य प्रदेश से अलग
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से रिक्वेस्ट की कि छत्तीसगढ़ के OBC आरक्षण केस को मध्यप्रदेश के केस से अलग कर लिया जाए। कोर्ट ने इस पर गौर किया और मंजूरी दे दी।
OBC समाज की मांग और कोर्ट का फैसला
OBC समाज की ओर से सीनियर एडवोकेट पी. विल्सन ने कोर्ट से कहा कि ये मामला प्रथम दृष्टया है, इसलिए अंतरिम आदेश पास किया जाए। कोर्ट ने इस रिक्वेस्ट को मानते हुए 8 अक्टूबर को सुनवाई को 'टॉप ऑफ द बोर्ड' पर लिस्ट करने का ऑर्डर दिया। सुनवाई के बाद OBC महासभा ने स्टेटमेंट जारी कर कहा, "आज की सुनवाई OBC समाज के संवैधानिक अधिकारों और 27% आरक्षण की बहाली के लिए मील का पत्थर साबित होगी। हम अपने हक के लिए हर लेवल पर फाइट करेंगे।
तो क्या है अगला स्टेप?
अब सबकी नज़रें 8 अक्टूबर पर टिकी हैं, जब सुप्रीम कोर्ट इस मसले पर फिर से सुनवाई करेगा। तब तक दोनों पक्ष अपने-अपने आर्ग्यूमेंट्स और डॉक्यूमेंट्स को और पुख्ता करने में जुट गए हैं। मध्य प्रदेश की गलियों से लेकर भोपाल तक, ये मुद्दा गर्म है, और हम आपके लिए हर अपडेट लाते रहेंगे। तो बने रहिए हमारे साथ, क्योंकि ये न्यूज़ अभी और ट्विस्ट लेगी।