प्राचीन कथाओं में सुना है, आज भी कहा जाता है, धरती पर कुछ सुरंग ऐसी हैं जो पाताल तक जाती हैं। कुछ लोग कहते हैं कि समय के साथ सुरंग में मलवा भर गया और वह बंद हो गई है। सवाल यह है कि क्या हम दोबारा से ऐसी कोई सुरंग बना सकते हैं, जो धरती से पाताल तक जाती हो। या फिर पाताल के भी नीचे, जिस प्रकार हम पृथ्वी का वायुमंडल चीरते हुए अंतरिक्ष में निकल जाते हैं, क्या नीचे की तरफ जाएं तो ऐसा हो सकता है?
2008 में एक ऐसी कोशिश हुई थी
यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब पिछले कई सालों से दुनियाभर के वैज्ञानिक तलाश रहे हैं। साल 2008 में Transocean नाम की कंपनी ने कतर देश के अल शाहीन ऑइल फील्ड में एक ऐसी सुरंग बनाने की शुरुआत की जो धरती के पार जाती हो। यानी इस सुरंग के माध्यम से अंतरिक्ष में पहुंचा जा सकता हो। कंपनी के पास मौजूद मशीनों की मदद से 40,318 फीट नीचे तक गड्ढा खोद दिया गया परंतु धरती का अंत नहीं हुआ। कंपनी के पास इससे ज्यादा गहरा गड्ढा खोदने के लिए कोई मशीन नहीं थी। आज की स्थिति में यह दुनिया का सबसे गहरा गड्ढा है।
1970 में सोवियत संघ ने भी गड्ढा खोद लिया था
इससे पहले 24 मई 1970 को सोवियत संघ ने धरती के आर पार गड्ढा खोदने के लिए दुनिया के सबसे बड़े ड्रिलिंग प्रोजेक्ट की शुरुआत की। रूस और नार्वे की सीमा में लगातार 19 साल तक खुदाई का काम चलता रहा। वैज्ञानिकों ने लगभग 12 किलोमीटर (35,768 फीट) गहरा गड्ढा खोद लिया था लेकिन फिर काम बंद कर दिया क्या। वैज्ञानिकों ने बताया कि करीब 40000 फीट के नीचे धरती के अंदर का तापमान 180 डिग्री सेल्सियस है। इस तापमान के कारण कोई भी मशीन काम नहीं कर सकती। इस गड्ढे को 'कोला सुपरडीप बोरहोल' नाम दिया गया था।