कर्मचारी भविष्य निधि संगठन द्वारा दिनांक 18 जनवरी को जारी किया गया सर्कुलर मद्रास हाई कोर्ट की मदुरई बेंच द्वारा रद्द कर दिया गया है। हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद भारत के लाखों कर्मचारियों को फायदा होगा। मामला पेंशन का है।
EPFO के सर्कुलर से सुप्रीम कोर्ट का आदेश प्रभावित हो गया था
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2022 में एक आदेश दिया था जिसमें कहा था कि दिनांक 1 सितंबर 2014 को सेवा में रहे योग्य कर्मचारी अपने वास्तविक वेतन पर 8.33% योगदान देकर हायर पेंशन का विकल्प चुन सकते हैं। यह आदेश उन सभी कर्मचारियों के लिए लागू होगा जिनका वेतन ₹15000 की सीमा से अधिक है। इसके बाद दिनांक 18 जनवरी को एम्पलाइज प्रोविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन द्वारा एक सर्कुलर जारी किया गया। जिसको आधार बनाकर BHEL जैसी कंपनियों ने भी पेंशन के लिए योगदान से इनकार कर दिया।
SAIL-BSP पेंशनर्स एसोसिएशन के सचिव बी. एन. अग्रवाल ने कहा कि कई कर्मचारियों और नियोक्ताओं द्वारा किए गए संयुक्त विकल्पों को EPFO ने “असंगत कारणों” से खारिज कर दिया, जैसे कि अधिकांश छूट प्राप्त कंपनियों के ट्रस्ट नियमों में वेतन सीमा। हालांकि, जिन छूट प्राप्त कंपनियों के ट्रस्ट नियमों में ऐसी सीमा नहीं थी, उनके आवेदन स्वीकार कर लिए गए।
अब हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार, 31 जनवरी तक जमा किए गए किसी भी संयुक्त विकल्प को EPFO द्वारा स्वीकार किया जाना चाहिए। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि EPF स्कीम के तहत बनाए गए ट्रस्ट नियम कर्मचारियों को EPS 1995 (कर्मचारी पेंशन योजना) के तहत मिलने वाले लाभ को रोकने का कारण नहीं बन सकते।
अग्रवाल ने कहा, “कंपनियों को EPS 1995 की धारा 39 के तहत छूट नहीं दी गई है। PF स्कीम के लिए दी गई छूट का इस्तेमाल statutory पेंशन योजना के लाभ रोकने के लिए नहीं किया जा सकता। कर्मचारी इस योजना और फंड का हिस्सा हैं, जो EPFO द्वारा संचालित है, और ट्रस्ट नियमों से स्वतंत्र है।”
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन द्वारा दिनांक 18 जनवरी को जारी किया गया सर्कुलर, सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनिल कुमार मामले में जारी किए गए आदेश का उल्लंघन करता है। और कोई भी संस्था एक सर्कुलर जारी करके सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन नहीं कर सकती। इसलिए इस सर्कुलर को रद्द किया जाता है। रिपोर्ट: सागर शर्मा, सेंट्रल डेस्क भोपाल।
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