Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 की धारा 34 में भारतीय Citizens को प्राइवेट प्रतिरक्षा (private defense) का कानूनी rights दिया गया है, परन्तु इस rights की दो सीमाएँ है:-
1. ऐसे किसी कार्य के लिए इसका प्रयोग उचित नहीं होगा जो rescue न होकर निश्चित रूप से एक Crime है।
2. यदि किसी व्यक्ति ने स्वयं Attack किया हो और वह अपने बचाव में Right to immunity का तर्क प्रस्तुत नहीं कर सकता है।
The Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 section 34 Punishment
1. Bhanwar Singh and others vs State of Madhya Pradesh :- मामले में Supreme Court द्वारा अभिनिर्धारित किया कि निजी प्रतिरक्षा का अधिकार व्यक्ति को स्वयं आपराधिक दायित्व से बचाने के लिए प्राप्त है, न कि आक्रमण का अधिकार है और न प्रत्याघात के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है। जब तक स्वयं की जान माल का कोई खतरा उपस्थित ना हो, निजी प्रतिरक्षा का अधिकार प्राप्त नहीं होता है।
2. Kashmiri Lal vs State of Punjab मामले मे Supreme Court द्वारा अभिनिर्धारित किया गया कि व्यक्ति जो स्वयं aggressive हो और दूसरे व्यक्ति पर विधि against हमला करता हो तो उसे private defense का अधिकार प्राप्त नहीं होगा। यानी यदि कोई व्यक्ति किसी को मारने के लिए हमला करें और दूसरा व्यक्ति अपनी प्रतिरक्षा में counter assault कर दे। इस संघर्ष में हमलावर व्यक्ति, दूसरे व्यक्ति को Kill डालने अथवा गंभीर रूप से घायल कर देने में सफल हो जाए तो इस घटना में हमलावर व्यक्ति को निजी प्रतिरक्षा के rights का लाभ नहीं दिया जा सकता।
कुलमिलाकर, कोई व्यक्ति जो स्वयं Attack करता है वह प्रतिरक्षा के कानून के अंतर्गत बचाव नहीं मांग सकता है।
✍️लेखक: बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार, होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article. डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।