Why first: सबसे पहले श्री गणेशाय नमः क्यों, इससे क्या फायदा होता है, पढ़िए

Bhopal Samachar
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सृष्टि का सृजन पालन और संहार, ब्रह्मा विष्णु और महेश करते हैं और इनका मूल अक्षर "ॐ" है। तो फिर सनातन संस्कृति का पालन करने वाले किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले श्री गणेशाय नमः क्यों बोलते हैं, श्री गणेशाय नमः सबसे पहले क्यों लिखते हैं। चलिए इस प्रश्न का उत्तर खोजने के लिए अनुसंधान करते हैं:- 

श्री गणेशाय नमः का शाब्दिक अर्थ

सबसे पहले हम श्री गणेशाय नमः का शाब्दिक अर्थ समझते हैं। यहां श्री से तात्पर्य शुभ, मंगल एवं समृद्धि, गणेशाय का तात्पर्य हुआ गणों के ईश अर्थात पृथ्वी पर उपस्थित सभी प्रकार की जीव, देवता एवं ऊर्जाओं के स्वामी। और अंत में नमः अर्थात प्रणाम करना, शरणागत हो जाने की घोषणा करना। पृथ्वी पर उपस्थित विभिन्न प्रजातियों के जीवन में से मनुष्य भी एक प्रजाति है। इस प्रकार हम मानव प्रजाति के जीव, अपने स्वामी को प्रणाम करते हैं और उनके शरणागत होने की घोषणा करते हैं। 

व्यापारी के बहीखाते में सबसे पहले श्री गणेशाय नमः क्यों लिखा जाता है

स्कंद पुराण, नारद पुराण और गणेश पुराण में वर्णन है कि किसी भी कार्य का प्रारंभ यदि श्री गणेशाय नमः उच्चारण एवं घोषणा के साथ किया जाता है तो वह कार्य निर्विघ्न संपन्न होता है क्योंकि श्री गणेश जी विघ्नहर्ता और सिद्धिदाता हैं। जहां तक व्यापारी के बहीखाते का सवाल है तो सबसे पहले पेज पर श्री गणेशाय नमः इसलिए लिखा जाता है क्योंकि यहां पर श्री से तात्पर्य होता है माता लक्ष्मी की कृपा से समृद्धि की कामना जो व्यापार के स्वामी गणेश के माध्यम से ही संभव है इसलिए हम इस व्यापार को अपने स्वामी को समर्पित करते हैं। बही खाते पर श्री गणेशाय नमः लाल स्याही या हल्दी-कुमकुम से ही लिखना चाहिए।

श्री गणेशाय नमः बोलने और लिखने से क्या लाभ होते हैं

  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि जन्मकुंडली में शनि, राहु, केतु या मंगल के कारण रुकावटें आ रही हों, तो "श्री गणेशाय नमः" जप करने से ग्रहों की प्रतिकूलता काफी हद तक कम हो जाती है। 
  • बुध ग्रह की कृपा प्राप्त करने के लिए, बुध ग्रह को अपने अनुकूल करने के लिए, बुद्धि और विवेक में वृद्धि के लिए, प्रतियोगी परीक्षाओं, पत्रकारिता, लेखन और व्यापार में सफलता प्राप्त करने के लिए श्री गणेशाय नमः का जप करना अनिवार्य बताया गया है। 
  • भारतीय ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार राहु और केतु भ्रम और बाधाओं के कारण बनते हैं। गणेश जी की उपासना ही इस प्रकार के अशुभ प्रभाव को कम कर सकती है। 
  • "श्री गणेशाय नमः" के नियमित लेखन/जप से मंगल दोष, विवाह में देरी और कलहकारी प्रभाव शांत होते हैं। 
  • ओमकार के साथ (ॐ श्री गणेशाय नमः) जप करने से मन की शांति, मानसिक बल और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। 
लेखक: आचार्य कमलांश,  पिछले 10 वर्षों से धार्मिक एवं सामाजिक प्रश्नों के उत्तरों के अनुसंधानकर्ता हैं।। 
सोर्स: स्कंद पुराण, नारद पुराण, गणेश पुराण एवं भारतीय ज्योतिष।
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