अमेरिका आजकल संक्रामक बीमारियों की चपेट में है। कैलिफोर्निया में प्लेग का संक्रमण पाया गया है और न्यूयॉर्क सिटी में लेजियोनेयर्स के कारण अब तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 180 लोग गंभीर रूप से बीमार है और अस्पतालों में भर्ती हैं। लेजियोनेयर्स एक जानलेवा रोग है जो पानी के जरिए फैलता है।
लेटेस्ट रिपोर्ट: दो कंस्ट्रक्शन कंपनियों के खिलाफ मुकदमा
न्यूयॉर्क सिटी में दो कंस्ट्रक्शन कंपनियों के खिलाफ मुकदमा दाखिल किया गया है। आरोप लगाया गया है कि इन कंपनियों की लापरवाही के कारण न्यूयॉर्क सिटी में घातक बीमारी लेजियोनेयर्स का प्रकोप फैल गया है। इसके कारण अब तक पांच नागरिकों की मृत्यु हो चुकी है और 180 से अधिक गंभीर रूप से बीमार है। "It was completely preventable" इसको पूरी तरह से रोका जा सकता था। लेकिन कंस्ट्रक्शन कंपनियों की लापरवाही के कारण यह फैलता चला गया।
लेजियोनेयर्स क्या है और कैसे फैलता है
यह एक जानलेवा बैक्टीरिया है जो मनुष्य के फेफड़ों में जाकर उनको निष्क्रिय कर देता है। इसके कारण मनुष्य की मृत्यु हो जाती है। सामान्य तौर पर इसको "फेफड़ों का निमोनिया" कहते हैं। अमेरिका में यह सबसे पहले 1976 में अमेरिकी आर्मी के सम्मेलन में फैला था। इसी आधार पर इस जानलेवा बीमारी का नाम "लेजियोनेयर्स" रखा गया।
लेजियोनेयर्स नाम की प्राण घातक बीमारी "लेजियोनेला" नाम के बैक्टीरिया से फैलती है। यह बैक्टीरिया मानव निर्मित जल प्रणालियों (मैन मेड वाटर सिस्टम) में पैदा होते हैं। यह उस समय सबसे ज्यादा ताकतवर हो जाते हैं जब लंबे समय तक पानी का तापमान सामान्य से अधिक बना रहता है। यानी की पानी गर्म होता है। यह बैक्टीरिया पानी की बूंद में शामिल हो जाता है और जब कोई व्यक्ति ऐसे वाटर सिस्टम के आसपास जाकर सांस लेता है तो यह बैक्टीरिया उसके फेफड़ों में घुस जाता है।
बड़े अस्पतालों, ऑफिस, होटल एवं अन्य बड़े भवनों में जहां कूलिंग टावर लगे होते हैं। ऐसे बड़े एयर कंडीशनिंग सिस्टम के माध्यम से यह बैक्टीरिया बड़ी आसानी से मनुष्यों तक पहुंच जाता है। इसके अलावा स्पा पूल और हॉट टब, शॉवर हेड और नल, सजावटी फव्वारे और ह्यूमिडिफायर, ऐसे पाइप और जल प्रणाली जिनका लंबे समय से उपयोग नहीं हुआ हो, के माध्यम से यह बैक्टीरिया इंसानों के फेफड़ों में घुस जाता है।
एक ऐसा प्राणघातक बैक्टीरिया जो पानी में पैदा होता है और पानी से ही फैलता है
कुल मिलाकर यह एक ऐसा बैक्टीरिया है जो वाटर सिस्टम यानी पानी की बड़ी टंकियां में पैदा होता है और AC अथवा पानी के अन्य माध्यमों का उपयोग करते हुए इंसानों पर हमला करता है। इस प्रकार के बैक्टीरिया से बचाना बेहद मुश्किल है और सबसे चिंता की बात तो यह है, कि यह बैक्टीरिया जानलेवा है। इस प्रकार के बैक्टीरिया को पैदा होने से पहले ही रोका जा सकता है।
यह दुनिया के कितने देश में फैल सकता है
लेजियोनेयर्स रोग दुनिया के लगभग सभी हिस्सों में पाया जाता है। यह उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, यूरोप, एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में रिपोर्ट किया गया है। लेकिन अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया, जहां इसकी जांच की जाती है, इसके होने का पता चल जाता है नहीं तो लोग निमोनिया और अन्य किसी प्रकार की बीमारी मानकर लोगों को मरने देते हैं। कुछ समय बाद बैक्टीरिया अपने आप खत्म हो जाता है और स्थिति सामान्य हो जाती है।
भारत जैसे देशों के लिए चिंता की बात
भारत सहित दुनिया के सभी देशों को इस बात की चिंता करना चाहिए कि कहीं अपने देश में तो इस प्रकार के बैक्टीरिया पैदा होने का खतरा नहीं है। क्योंकि जब न्यूयॉर्क सिटी जैसे दुनिया के सबसे आधुनिक शहर का प्रशासन, इससे लड़ने में सक्षम नहीं है तो हमारा क्या होगा, हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। क्योंकि हमारे यहां तो 5-10 हजार लोगों के मर जाने तक डॉक्टर यह मानने को तैयार ही नहीं होंगे की मृत्यु का कारण "लेजियोनेयर्स रोग" है। और विपक्षी नेता एवं पत्रकार इसको लगातार कॉविड-19 बताते रहेंगे।