MPPSC ने ओबीसी मामले में तीसरी बार भी हाईकोर्ट के समक्ष जवाब नहीं दिया - NEWS TODAY

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जबलपुर
: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की मुख्य पीठ जबलपुर में ओ.बी.सी. वर्ग के अभ्यर्थियों द्वारा दायर याचिका की तीसरी सुनवाई पर भी मध्य प्रदेश सरकार और लोक सेवा आयोग जवाब दाखिल नहीं कर पाए। लोक सेवा आयोग ने ओ.बी.सी. वर्ग के बैकलॉग पदों के संबंध में सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा, जबकि सरकार की ओर से कहा गया कि इस संबंध में आयोग जवाब दाखिल करे। हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि दिनांक 09/09/25 से पहले दोनों (मध्य प्रदेश सरकार और आयोग) अनिवार्य रूप से जवाब दाखिल करें। साथ ही, हाईकोर्ट ने उक्त समस्त भर्ती प्रक्रिया को याचिका क्रमांक WP/25130/2025 के अंतिम फैसले के अधीन कर दिया है।

मामला ओबीसी वर्ग के बैकलॉग का है

उक्त याचिका सागर निवासी लीलाधर लोधी, दीपक सिंह ठाकुर, इंदौर निवासी शुभम चौधरी, प्रेमलता, बालाघाट निवासी खुशबू चौरसिया, और तोपेंद्र लिलाहरे द्वारा आर.पी.एस. लॉ एसोसिएट्स के माध्यम से दायर की गई है। याचिका में लोक सेवा आयोग द्वारा प्रकाशित विज्ञापन, दिनांक 30/12/24 की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है। उक्त विज्ञापन में वर्ष 2019 से पहले के अंग्रेजी विषय के ओ.बी.सी. वर्ग के कुल 31 बैकलॉग पदों का उल्लेख किया गया है। जबकि आयोग द्वारा दिनांक 30/12/22 को अंग्रेजी विषय में सहायक प्राध्यापक के कुल 200 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया गया था, जिसकी नियुक्ति प्रक्रिया वर्तमान में चल रही है। इस भर्ती विज्ञापन में ओ.बी.सी. वर्ग के बैकलॉग पदों का कोई उल्लेख नहीं है। 

MPPSC ने ओबीसी के रिक्त पदों में हेराफेरी की है

याचिकाकर्ताओं ने उक्त भर्ती परीक्षा में भाग लिया था, लेकिन उन्हें साक्षात्कार में कम अंक देकर बाहर कर दिया गया। इसके अलावा, कई ओ.बी.सी. अभ्यर्थियों को 13% आरक्षण में होल्ड भी कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसलों में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि बैकलॉग के रिक्त पद केवल उसी वर्ग से भरे जाएंगे, जिसके लिए वे रिक्त हैं। लेकिन आयोग ने 2019 से पहले के रिक्त पदों को 2022 की भर्ती में शामिल नहीं किया और ओ.बी.सी. वर्ग के पदों में हेराफेरी करके 2024 में असंवैधानिक रूप से विज्ञापित किया। 

हाई कोर्ट ने लगातार तीन मौके दिए, MPPSC ने जवाब नहीं दिया

याचिका क्रमांक WP/25130/25 की सुनवाई दिनांक 29/07/25, 31/07/25, और 18/08/25 को जस्टिस एम.एस. भट्टी की खंडपीठ द्वारा की गई। याचिका में उठाए गए मुद्दों की गंभीरता को देखते हुए लोक सेवा आयोग के अधिवक्ता श्री प्रशांत सिंह, जो वर्तमान में मध्य प्रदेश शासन के महाधिवक्ता भी हैं, को याचिका की एक प्रति देने का आदेश दिया गया था। मामले की अगली सुनवाई दिनांक 31/07/25 के लिए निर्धारित की गई थी, लेकिन जवाब दाखिल नहीं किया गया। इसके बाद हाईकोर्ट ने दिनांक 18/08/25 को जवाब दाखिल करने के लिए पुनः अवसर दिया, फिर भी जवाब दाखिल नहीं किया गया। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, हितेंद्र कुमार गोहलानी, और अभिलाषा सिंह लोधी ने पैरवी की।
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