अ से अनार, आ से आम; बारहखड़ी के अंतर्गत वर्णमाला सीखने का यह प्रारंभिक तरीका होता है। आपने भी अपनी मातृभाषा हिंदी ऐसे ही सीखी होगी। इसी में क से कबूतर, म से मछली और न से नल आता है। लेकिन मध्य प्रदेश के कुछ प्राइवेट स्कूलों में ‘क से कबूतर’ की जगह ‘क से काबा’, ‘म से मछली’ की जगह ‘म से मस्जिद’ और ‘न से नल’ की जगह ‘न से नमाज’ पढ़ाया जा रहा है।
चुने हुए स्कूलों में भोपाल से पहुंचाई गई है आपत्तिजनक पाठ्य पुस्तक
पहला मामला रायसेन में ओपन हुआ है। यहां एक बच्चे के पैरंट्स ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं को इसकी सूचना दी। उन्होंने जाकर स्कूल में प्रदर्शन किया और उस किताब को करके पुलिस के सपोर्ट किया। जिसके माध्यम से प्राइमरी के बच्चों को यह आपत्तिजनक वर्णमाला पढ़ाई जा रही थी। इस मामले में बेबी कॉन्वेंट स्कूल वार्ड नंबर 3 रायसेन की प्राचार्य ईए कुरैशी का कहना है कि उनका यह किताब भोपाल से मिली है। इसका मतलब हुआ कि मध्य प्रदेश के जितने भी प्राइवेट स्कूलों में कुरैशी और उनके जैसे प्राचार्य मौजूद हैं वहां पर इसी प्रकार की किताबों से आपके बच्चों को प्राथमिक शिक्षा दी जा रही है।
जिला शिक्षा अधिकारी का संरक्षण
यह आपत्तिजनक वर्णमाला रायसेन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं और पुलिस के पास में उपलब्ध है परंतु रायसेन के जिला शिक्षा अधिकारी डीडी रजक स्कूल संचालक को संरक्षण देते हुए नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि यदि इस टाइप का कोई पट्टी पहाड़ा है तो उसे जब्त कर जांच कराई जाएगी। स्कूल की मान्यता रद्द करने के लिए जेडी को पत्र लिखेंगे। सवाल यह है कि जब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे हैं और मामला इतना बड़ा हो गया है तो फिर जिला शिक्षा अधिकारी जांच करने के लिए किस मुहूर्त का इंतजार कर रहे हैं। स्कूल संचालक को समय क्यों दिया जा रहा है।