अर्थव्यवस्था की परिवर्तित होती आवश्यकताओं के साथ गति को बनाए रखने हेतु मध्यप्रदेश दुकान एवं स्थापना अधिनियम, 1958 के सुरांगत अपबंधों में अतिकालिक कार्य (ओव्हर टाईम) के घंटे की संख्या को बढ़ाये जाने हेतु विधेयक विधानसभा द्वारा पारित किया गया है। इसी प्रकार कारखाना अधिनियम, 1948 में श्रमिकों के कार्य के घंटे, विश्राम अंतराल, स्प्रेड ओवर और अतिकाल (ओव्हर टाईम) के कार्य के घंटे में संशोधन पारित किया गया है।
मध्यप्रदेश दुकान एवं स्थापना अधिनियम 1958
मध्यप्रदेश दुकान एवं स्थापना अधिनियम 1958 की धारा 11 (दुकानों एवं स्थापनाओं) धारा 16 (रेस्टोरेंट एवं इंटिंग एउस) तथा धारा 21 (एम्यूजमेंट एवं विएटर) में एक तिमाही में पूर्व में अतिकाल के 72 घंटे को वर्तमान में 144 घंटे तक का अतिकाल कार्य बढ़ाया गया है। इस संशोधन से कर्मकारों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति मजबूत होगी, साथ ही ये अपनी परिवार को गुणयतापूर्ण समय दे सकेंगे। विधेयक में प्रस्तावित संशोधन का उद्देश्य उपयुक्त उपबंध बनाए जाना है जो वैश्विक कार्य परिवेश में कर्मचारियों के कल्याण तथा प्रतिस्पर्धा पर बल देते हुए अतिकालिक कार्य के घंटे से संबंधित विषयों को और लचीला बनाता हो।
मध्यप्रदेश कारखाना अधिनियम 1948
वैश्वीकरण की चुनौतियों के साथ कारखाना अधिनियम, 1948 में कर्मकार के कार्य के घंटे, विश्राम अंतराल, स्प्रेडओवर और अतिकाल के कार्य के घंटे में संशोधन आवश्यक था। नए संशोधन से कर्मकारों को रोजगार के नए अवसर सृजित हो सकेंगे, साथ ही उनकी आमदनी बढ़ेगी एवं ये आर्थिक रूप से समृद्ध हो सकेंगे। इन संशोधनों में अधिनियम की धारा 54 में विश्राम के अंतराल के साथ पूर्व में दैनिक कार्य के 9 घंटे (विश्राम अंतराल के साथ जो किसी वर्ग, समूह, या प्रकार के कारखाने में) को 12 घंटे तक बढ़ाया जा सकेगा। धारा 55 के अंतर्गत पूर्व में 5 घंटे के विश्राम अंतराल को (किसी समूह या वर्ग या प्रकार के कारखाने में) 6 घंटे तक बढ़ाया जा सकेगा। धारा 56 के अंतर्गत पूर्व में स्प्रेडओवर 10:30 घंटे के स्थान पर (किसी समूह या वर्ग या प्रकार के कारखाने में विश्राम के अंतराल के साथ) स्प्रेडओवर 12 घंटे तक बढ़ाया जा सकेगा।
अधिनियन की धारा 59 के अनुसार किसी कर्मकार द्वारा सामान्य कार्य के 48 घंटे के अतिरिक्त यदि एक सप्ताह में यह कार्य करेगा तो कार्यावधि अनुसार उसे अतिकाल की अतिरिक्त मजदूरी पृथक से देय होगी। सवैतनिक अवकाश पर कार्य कराए जाने पर भी अतिकाल मजदूरी देय होगी। अधिनियम की धारा 65 के अनुसार पुरुष शब्द को हटाकर समस्त व्यस्क कर्मकार शब्द स्थापित किया जाएगा। साथ ही एक तिमाही में 125 अतिकालिक घंटे के स्थान पर 144 घंटे अतिकाल कार्य करने के लिए कर्मकार स्वतंत्र होगा।
उक्त संशोधन में नियोजक तथा कर्मकार में एक अच्छा वातावरण निर्मित होगा। विश्वास और समृद्धि का बाताबरण जो औद्योगिक प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ श्रमिक कल्याण को बढ़ावा देता है, प्रदान करने में नियोजक-कर्मचारी संबंधों का संतुलन निर्णायक होता है।
कारखाना अधिनियम, 1948 में राज्य विधानसभा में पारित संशोधन नियमानुसार माननीया राष्ट्रपति महोदया की सहमति के लिये प्रेषित किये जायेंगे, वहाँ से अनुमति प्राप्त होने के पश्चात यह राज्य में कानून का रूप लेंगे।