महर्षि गौतम ट्रस्ट चुनाव विवाद: INDORE HIGH COURT का आदेश

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महर्षि गौतम शैक्षणिक एवं परमार्थ ट्रस्ट इंदौर के चुनाव से संबंधित याचिका का हाईकोर्ट में निपटारा हो गया है। उच्च न्यायालय ने चुनाव को स्थगित नहीं किया है लेकिन रजिस्टर पब्लिक ट्रस्ट को पाबंद कर दिया है कि वह निर्धारित नियमों के अनुसार प्राप्त हुई शिकायत का निपटारा करेंगे। यह भी स्पष्ट किया गया है कि चुनाव के बाद भी चुनाव को चुनौती दी जा सकती है और चुनाव को रद्द किया जा सकता है। 

प्रमेंद्र जोशी बनाम मध्य प्रदेश शासन

याचिकाकर्ता प्रमेंद्र जोशी द्वारा दाखिल की गई याचिका पर हाई कोर्ट ऑफ़ मध्य प्रदेश की इंदौर बेंच में विद्वान न्यायमूर्ति श्री प्रणय वर्मा द्वारा दिनांक 24 अगस्त को फाइनल डिसीजन दिया गया। याचिकाकर्ता की ओर से हाई कोर्ट को बताया गया कि, महर्षि गौतम शैक्षणिक एवं परमारथ ट्रस्ट, इंदौर के न्यासियों की नियुक्ति के लिए होने वाले चुनाव कानून और स्थापित प्रक्रियाओं के अनुसार नहीं हो रहे थे। उन्होंने दावा किया कि चुनाव प्रक्रिया में विभिन्न अवैधताएं और अनियमितताएं की जा रही थीं। विशेष रूप से, याचिकाकर्ता ने इस बात पर प्रकाश डाला कि चुनाव अधिकारी कानून के विपरीत काम कर रहा था। 

इन चिंताओं को और बढ़ाते हुए, याचिकाकर्ता ने बताया कि उम्मीदवारों को आवंटित किए गए चुनाव चिन्ह (symbols) समान थे, जिससे चुनाव प्रक्रिया में भ्रम पैदा होने की आशंका थी। इन सभी अनियमितताओं के बारे में मध्य प्रदेश राज्य के सक्षम प्राधिकारी, रजिस्ट्रार, पब्लिक ट्रस्ट (जो प्रतिवादी संख्या 1 है) को पहले ही सूचित किया जा चुका था, लेकिन उन्होंने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की थी, जबकि उनकी जिम्मेदारी चुनाव की निष्पक्षता और पारदर्शिता की निगरानी करना है। 

याचिकाकर्ता की मांगें: 

इन गंभीर आरोपों के मद्देनजर, प्रमेंद्र जोशी ने माननीय न्यायालय से निम्नलिखित राहतें (मांगें) प्रदान करने का अनुरोध किया:
• प्रतिवादी संख्या 1 (मध्य प्रदेश राज्य के सक्षम प्राधिकारी, रजिस्ट्रार, पब्लिक ट्रस्ट) को निर्देश दिया जाए कि वे याचिकाकर्ता द्वारा दायर आवेदन पर निर्णय लें और उसके बाद ही चुनाव कराएं।
• ट्रस्ट के जो चुनाव 24 अगस्त, 2025 को होने वाले थे, उन्हें मध्य प्रदेश राज्य के सक्षम प्राधिकारी, रजिस्ट्रार, पब्लिक ट्रस्ट द्वारा अंतिम आदेश पारित होने तक स्थगित किया जाए।
• मध्य प्रदेश राज्य के सक्षम प्राधिकारी, रजिस्ट्रार, पब्लिक ट्रस्ट को एक नया चुनाव अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया जाए।
• न्याय, इक्विटी और अच्छे विवेक के हित में कोई अन्य उचित आदेश पारित किया जाए।

न्यायालय की टिप्पणियाँ और अंतिम आदेश: 

मामले के रिकॉर्ड की जांच करने पर, न्यायालय ने पाया कि चुनाव वास्तव में उसी दिन, यानी 24 अगस्त, 2025 को होने वाले थे। न्यायालय ने यह भी देखा कि याचिकाकर्ता ने अपनी शिकायत पहले ही प्रतिवादी संख्या 1 (मध्य प्रदेश सार्वजनिक न्यास अधिनियम, 1951 के प्रावधानों के तहत सक्षम प्राधिकारी) के समक्ष उठा दी थी। 

माननीय न्यायालय ने टिप्पणी की कि प्रतिवादी संख्या 1 (रजिस्ट्रार, पब्लिक ट्रस्ट) निश्चित रूप से इस मामले पर विचार करेगा और कानून के अनुसार इसका निवारण करेगा। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि भले ही चुनाव हो जाएं, याचिकाकर्ता उपचार रहित नहीं होगा, क्योंकि उसके पास अधिनियम, 1951 की धारा 25(3) के प्रावधानों के तहत चुनावों को चुनौती देने का उपाय उपलब्ध होगा। इन महत्वपूर्ण टिप्पणियों के साथ, न्यायालय ने याचिका का निपटारा कर दिया। 
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