भारतवर्ष की प्राचीन परंपरा है, अपने इष्ट देव को प्रसन्न करने के लिए व्रत करते हैं। व्रत के दौरान अपने प्रिय भोजन का त्याग कर देते हैं। लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि सबसे प्रिय और प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश भी व्रत करते हैं। व्रत के दौरान मोदक, लड्डू, गन्ना, केले सबका त्याग करते हैं। चलिए जानते हैं कि भगवान श्री गणेश कि मनोकामना की पूर्ति के लिए व्रत करते हैं और मोदक, लड्डू, गन्ना, केले त्याग देते हैं तो फिर भोजन में क्या ग्रहण करते हैं?
श्री गणेश कपित्थ जम्बू फलाचारु भक्षणम् - MYTHOLOGICAL STORY
गणेश जी की आराधना में वर्णित मंत्र "कपित्थ जम्बू फलाचारु भक्षणम्" में भगवान श्री गणेश को कबीट (कैथ), जामुन और केसर का सेवन करते हुए दिखाया गया है। इस मंत्र के पीछे भी एक बड़ी ही रोचक कथा है। जब गणेश जी अपने प्रिय भोजन मोदक,लड्डू,गन्न्ना कुछ ज्यादा ही खाने लगे तो माता पार्वती को उनके स्वास्थ्य की चिंता होने लगी जैसे कि सभी मम्मीयों को को अपने बच्चों की चिंता होती है। इसलिए माता पार्वती ने गणेश जी से इस समस्या का समाधान खोजने के लिए कहा तो गणेश जी ने अपनी माता की चिंता को समझा और कहा कि अब से "मैं" कबीटफल, जामुन और केसर का भी सेवन करूंगा। इसके बाद भगवान श्री गणेश ने अपनी आहारचार्य में बदलाव किया और अपने भक्तों को संदेश दिया कि स्वास्थ्य और शुद्धता का महत्व सर्वोपरि है।
श्री गणेश कपित्थ जम्बू फलाचारु भक्षणम् - SCIENTIFIC STORY
भगवान श्री गणेश को मीठा तो बहुत पसंद था परंतु उन्होंने उन्हें अपनी माता के द्वारा उनके स्वास्थ्य की चिंता को लेकर इसका सॉल्यूशन भी ढूंढ लिया और उन्होंन कबीट, जामुन व केसर का सेवन करना भी शुरू कर दिया। कबीट विटामिन "सी" से भरपूर फल है, जबकि जामुन में मधुमेह नियंत्रण की शक्ति होती है एवं यह ब्लड प्यूरीफायर की तरह काम करता है और केसर शारीरिक और मानसिक शांति प्रदान करता है। तो इस प्रकार गणेश जी ने अपनी माता की चिंता को दूर किया और अपने भक्तों को संदेश दिया कि स्वास्थ्य और शुद्धता का महत्व सर्वोपरि है।
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