भारत में यदि कोई बच्चा ट्रैफिक रूल तोड़ता है तो उसके पेरेंट्स को फाइन भरना पड़ता है। कुछ गंभीर मामलों में पेरेंट्स का लाइसेंस कैंसिल हो जाता है। लेकिन यदि बाल्यावस्था में कोई बच्चा क्राइम कर दे, तो क्या उसके स्थान पर उसके पेरेंट्स को जेल में डाल दिया जाएगा। आईए जानते हैं भारतीय न्याय संहिता 2023 में क्या प्रावधान किया गया है:-
Bharatiya Nyaya Sanhita , 2023 की धारा 20 की परिभाषा
यहां प्रश्न में "बाल्यावस्था" शब्द का उपयोग किया गया है। कानून की किताब में इसका अर्थ होता है 7 वर्ष से कम आयु का लड़का या लड़की। यदि 7 साल से कम आयु के बच्चे से कोई अपराध हो जाता है तो BNS की section 20 के अंतर्गत क्षमा योग्य (forgivable) होगा। ना तो उसे कोई Punishment दी जाएगी और ना ही उसके Parents को इसके लिए punished किया जा सकता है। सिर्फ इतना ही नहीं, कोई भी state government इस प्रकार का कोई Law नहीं बना सकती।
Know important judgments according to the law
1. Babu Sen Vs Emperor- के मामले में यह स्पष्ट किया गया कि IPC की धारा 82 (अब BNS की धारा 20) के अंतर्गत सात वर्ष से कम आयु के बच्चों को आपराधिक दायित्व से पूर्ण उन्मुक्ति केवल भारतीय दण्ड संहिता की धारा 82 (अब BNS की धारा 20) ही नहीं देती है यह उन सभी स्थानीय विधि, विशिष्ट विधियाँ पर भी लागू होता है।
2. Shyam Bahadur vs State:- मामले में सात वर्ष से कम आयु के एक बालक को सोने की एक तश्तरी पड़ी मिली जिसकी उसने कही भी रिपोर्ट नहीं लिखवाई और अपने पास रख ली, परन्तु फिर भी उसके विरुद्ध कोई अभियोजन नहीं चलाया जा सका। क्योंकि उसे पता ही नहीं था कि वह कोई अपराध कर रहा है।
✍️लेखक: बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार, होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article. डिस्क्लेमर- यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।