भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज "अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन" पर पहुंचे ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला से बातचीत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "...हमें मिशन गगनयान को आगे बढ़ाना है। हमें अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाना है। और हमें यह सुनिश्चित करना है कि कोई भारतीय अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर उतरे। आईए जानते हैं "स्पेस स्टेशन" क्या होता है जिसका सपना भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देख रहे हैं:-
About Space Station
अंतरिक्ष स्टेशन (Space Station) पृथ्वी के ऊपर आसमान में एक ऐसा स्थान है जहां हम इंसान रह सकते हैं। अंतरिक्ष स्टेशन पृथ्वी की कक्षा (Earth orbit) में रहता है और अंतरिक्ष में वैज्ञानिक अनुसंधान, प्रयोग और अवलोकन के लिए उपयोग किया जाता है। यह एक तरह का कृत्रिम उपग्रह है, जिसमें वैज्ञानिक, अंतरिक्ष यात्री और इंजीनियर लंबे समय तक रह सकते हैं। यह पृथ्वी से सैकड़ों किलोमीटर ऊपर, निम्न पृथ्वी कक्षा (Low Earth Orbit) में चक्कर लगाता है।
अंतरिक्ष स्टेशन की मुख्य विशेषताएँ:
रहने की सुविधा: अंतरिक्ष स्टेशन में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए रहने, खाने, सोने और काम करने की सुविधाएँ होती हैं। इसमें ऑक्सीजन, पानी, भोजन और अन्य जीवन-रक्षक संसाधन उपलब्ध होते हैं।
वैज्ञानिक अनुसंधान: यहाँ सूक्ष्म गुरुत्व (microgravity) में प्रयोग किए जाते हैं, जो पृथ्वी पर संभव नहीं। जैसे-जैसे सामग्री विज्ञान, जीव विज्ञान, चिकित्सा और खगोल विज्ञान में शोध।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग: कई अंतरिक्ष स्टेशन, जैसे कि अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS), विभिन्न देशों (जैसे अमेरिका, रूस, यूरोप, जापान, कनाडा) के सहयोग से बनाए गए हैं।
ऊर्जा स्रोत: सौर पैनल सूर्य की ऊर्जा को बिजली में बदलकर स्टेशन को ऊर्जा प्रदान करते हैं।
कक्षा में गति: यह पृथ्वी के चारों ओर तेज गति (लगभग 28,000 किमी/घंटा) से चक्कर लगाता है, जिसके कारण यह हर 90 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर पूरा करता है।
प्रमुख अंतरिक्ष स्टेशन:
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS): यह सबसे प्रसिद्ध और वर्तमान में सक्रिय अंतरिक्ष स्टेशन है, जो 1998 में शुरू हुआ। यह पृथ्वी से लगभग 400 किमी ऊपर है और इसमें कई देशों के अंतरिक्ष यात्री काम करते हैं। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला यहीं पर हैं।
मीर (Mir): रूस का अंतरिक्ष स्टेशन, जो 1986 से 2001 तक सक्रिय रहा।
तियांगोंग (Tiangong): चीन का अंतरिक्ष स्टेशन, जो हाल के वर्षों में विकसित किया गया है।
Space Station के लिए भारत की योजना
भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bharatiya Antariksh Station - BAS) स्थापित करने की योजना पर काम शुरू हो चुका है, जिसे 2035 तक पूर्ण करने का लक्ष्य है। यह योजना भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा संचालित है और गगनयान मिशन के विस्तार का हिस्सा है।
समयसीमा और मॉड्यूल:
पहला मॉड्यूल (BAS-1): 2028 में LVM3 रॉकेट के माध्यम से लॉन्च किया जाएगा।
पूर्ण स्टेशन: 2035 तक पांच मॉड्यूल (BAS-01 बेस मॉड्यूल, BAS-02 कोर-डॉकिंग मॉड्यूल, BAS-03 साइंस रिसर्च मॉड्यूल, BAS-04 लैबोरेटरी मॉड्यूल, BAS-05 कॉमन वर्किंग मॉड्यूल) को जोड़कर पूरा किया जाएगा, जो कॉमन बर्थिंग मैकेनिज्म से जुड़े होंगे।
स्टेशन का वजन लगभग 52 टन होगा और यह पृथ्वी से 400 किमी ऊपर निम्न पृथ्वी कक्षा (Low Earth Orbit) में रहेगा, जहां अंतरिक्ष यात्री 3-6 महीने तक रह सकते हैं।
गगनयान मिशन का आधार:
BAS का विकास गगनयान मिशन पर आधारित है, जो भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है। गगनयान 2027 में 2-3 अंतरिक्ष यात्रियों को 300-400 किमी की कक्षा में 7 दिनों के लिए भेजेगा।
गगनयान के तहत 2026 तक चार मिशन और 2028 तक चार अतिरिक्त मिशन पूरे किए जाएंगे, जो BAS के लिए तकनीकों का परीक्षण करेंगे।
तकनीकी विकास:
ISRO ने 2024 में PSLV-C58 मिशन के तहत एक पॉलिमर इलेक्ट्रोलाइट मेम्ब्रेन फ्यूल सेल पावर सिस्टम (FCPS) का सफल परीक्षण किया, जो BAS के लिए बिजली और स्वच्छ पानी प्रदान करेगा।
स्पेस डॉकिंग प्रयोग (SpaDex) जैसी तकनीकों का विकास, जो अंतरिक्ष यान के बीच मानव और सामग्री हस्तांतरण को सक्षम बनाएगा।
नेक्स्ट जेनरेशन लॉन्च व्हीकल (NGLV) का उपयोग 2035 तक शेष मॉड्यूल लॉन्च करने के लिए किया जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग:
NASA ने 2023 में BAS के लिए सहयोग की पेशकश की है, जिससे भारत को तकनीकी विशेषज्ञता मिल सकती है।
भारत ने Artemis Accords पर हस्ताक्षर किए हैं, जो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष अन्वेषण में सहयोग को बढ़ावा देता है।
लंबी अवधि के लक्ष्य:
BAS 2035 तक पूरी तरह कार्यशील होगा और 15 साल तक संचालित होगा।
2040 तक भारत का लक्ष्य चंद्रमा पर मानव मिशन भेजना और एक चंद्र कक्षा में अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करना है।