Space discovery - हमारी पृथ्वी से पहले जो महाप्रलय हुआ था, वैज्ञानिकों को उसका चित्र दिखाई दिया

यह समाचार उन भारतीय नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण है जो श्रीमद् भागवत पुराण एवं अन्य पुराणों के संदर्भ में अध्ययन करते हैं अथवा चर्चा करते हैं। भारत के प्राचीन ग्रंथ, श्रीमद्भागवत पुराण एवं विष्णु पुराण में हमारी अपनी पृथ्वी के अस्तित्व से पहले जिस महाप्रलय का वर्णन मिलता है। वैज्ञानिकों को उसका संकेत चित्र मिल गया है। महाप्रलय की घटना का रिकॉर्ड यूरोपियन स्पेस एजेंसी के गैया मिशन के डेटा में छुपा हुआ था। खगोलशास्त्रियों ने अब जाकर उसका संक्षिप्त वर्णन journal Science Advances पत्रिका में प्रकाशित किया है। हालांकि उन्होंने इसे "महाप्रलय" नहीं कहा क्योंकि उनके पास ऐसा कोई रेफरेंस ही नहीं है। 

महाप्रलय कब हुआ था और इसका उल्लेख कहां मिलता है

श्रीमद्भागवत पुराण स्कंध 3, अध्याय 11 एवं विष्णु पुराण अध्याय 1.7 में इसका उल्लेख मिलता है। वैज्ञानिक भी मानते हैं कि अपने पृथ्वी का अस्तित्व 4.32 अरब वर्ष पहले हुआ था। इससे पहले एक और सृष्टि अस्तित्व में थी। जो महाप्रलय में समाप्त हो गई थी। दोनों पुराने में इस बात का उल्लेख भी मिलता है कि, एक सृष्टि को बनने में 4.32 अरब वर्ष का समय लगता है और 4.32 अरब वर्ष तक वह सृष्टि अपने अस्तित्व में रहती है। इसके बाद समाप्त हो जाती है। पुराणों में इसे ब्रह्मा का दिन और रात कहा गया है। पुराणों में ब्रह्मा के दिन को कल्प भी कहा जाता है। वर्तमान में हम जिस कल्प में जीवित है उसे "वराह कल्प" नाम दिया गया है। इससे पहले वाले कल्प को पद्म कल्प अथवा श्वेतवाराह कल्प कहा जाता है। श्वेतवाराह कल्प का जब समय पूरा हुआ तो महाप्रलय हुई। यह एक प्राकृतिक घटना थी जो 29वीं बार हुई थी और पुराणों के अनुसार टोटल 100 बार होनी है। हम 30वें कल्प में जीवित हैं। इसकी आयु भी 4.32 अरब वर्ष है और उसमें से अब तक लगभग  45% यानी लगभग 197 करोड़ वर्ष (1.97 billion years) बीत चुके हैं। 

खगोलशास्त्रियों को इसके बारे में क्या जानकारी मिली है 

Jason Hinkle, University of Hawai'i's Institute for Astronomy (IfA) के शोधकर्ता एवं उनके द्वारा The journal Science Advances में अपनी स्टडी रिपोर्ट प्रकाशित की गई है। यह चित्र उसी रिपोर्ट में प्रकाशित किया गया है। हमारे टेलीस्कोप को कुछ ऐसा दिखाई दिया था। जेसन हिंकल ने अपनी स्टडी रिपोर्ट में बताया है कि, यूरोपियन स्पेस एजेंसी के गैया मिशन के डेटा का अध्ययन करते समय उन्हें एक आश्चर्यजनक बात पता चली। सन 2016 और 2018 में, अंतरिक्ष में एक ऐसी घटना टेलिस्कोप में रिकॉर्ड हुई थी जो इससे पहले कभी नहीं देखी गई। बिग बैंग जिसके कारण हमारे ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई, इससे भी बड़ा कोई विस्फोट हुआ था। यह इतना बड़ा था कि कई सालों तक उसकी चमक दिखाई देती रही। खगोलशास्त्रियों ने इस घटना को Extreme Nuclear Transients (ENTs) नाम दिया है। स्टडी रिपोर्ट के अनुसार यह घटना हमारे अपने ब्रह्मांड की अस्तित्व में आने के पहले की है। इसकी रोशनी को हमारे टेलीस्कोप तक पहुंचने में अरबों वर्ष लगे। जैसे सूरज की किरण को पृथ्वी तक पहुंचने में 8 मिनट का समय लगता है बिल्कुल वैसे ही।

स्टडी रिपोर्ट और महाप्रलय में समानताएं

स्टडी रिपोर्ट Extreme Nuclear Transients (ENTs) का सही समय बता पानी में सफल नहीं हो पाई है परंतु इतना जरूर बताया है कि यह हमारे अपने ब्रह्मांड के अस्तित्व में आने के पहले की घटना है। श्रीमद् भागवत पुराण में लिखा है कि, हमारे ब्रह्मांड के अस्तित्व में आने के 4.32 अरब वर्ष पहले महाप्रलय हुआ था। वर्तमान में लगभग 197 करोड़ वर्ष (1.97 billion years) बीत चुके हैं। इस प्रकार हमारे पुराणों की गणना के अनुसार सन 2016 से 6.29 अरब वर्ष (6.29 Billion years) पहले महाप्रलय हुआ था। स्टडी रिपोर्ट में भी इससे मिलते जुलते समय का उल्लेख किया गया है। कहा गया है कि Extreme Nuclear Transients (ENTs) लगभग 6 से 8 अरब वर्ष पहले हुआ था।

पुराणों के अनुसार पृथ्वी का अस्तित्व 4.32 अरब वर्ष पहले शुरू हुआ, और एक कल्प (ब्रह्मा का दिन) भी 4.32 अरब वर्ष का होता है। रेडियोमेट्रिक डेटिंग के आधार पर वैज्ञानिकों का मानना है कि, पृथ्वी की आयु लगभग 4.54 अरब वर्ष मानी जाती है। यह दोनों अवधि लगभग समान ही है। 

एक और महत्वपूर्ण निष्कर्ष 

हम जिस पृथ्वी पर रहते हैं वह पृथ्वी महाप्रलय के कारण नहीं डूबी थी। यह बिल्कुल नई पृथ्वी है जिसे हमारे पुराणों के अनुसार श्री हरि विष्णु ने अस्तित्व दिया है। या तो किसी प्रकार से जलस्तर को काम किया या फिर भूमि को जल से ऊपर निकाला था, और इस प्रकार 4.32 अरब वर्ष पहले हमारी पृथ्वी अस्तित्व में आई, जीवन शुरू हुआ और हम इंसान जो अपने आप को बड़ा विशेषज्ञ मानते हैं, केवल 3 लाख वर्ष पहले अस्तित्व में आए हैं। Homo habilis से Homo sapiens (जो हम वर्तमान में हैं) बनने में हमको 42 लाख 40 हजार साल लगे। 

Extreme Nuclear Transients (ENTs) क्या होता है

एक्सट्रीम न्यूक्लियर ट्रांजिएंट्स (ENTs) एक बहुत ही शक्तिशाली और दुर्लभ खगोलीय घटना है, जिसमें एक बहुत बड़ा तारा (हमारे सूरज से कम से कम तीन गुना बड़ा) किसी आकाशगंगा के केंद्र में मौजूद सुपरमैसिव ब्लैक होल द्वारा नष्ट हो जाता है, अर्थात महाप्रलय। लेखक: उपदेश अवस्थी

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