क्या आप Pyroclastic Glass Beads के बारे में जानते हैं। इनका साइज 1 मिली मीटर से भी छोटा है लेकिन यह 3.6 अरब साल पुराने है। दुनिया में सबसे दुर्लभ है क्योंकि पृथ्वी पर मिलते ही नहीं है। पूरे ब्रह्मांड में सिर्फ चंद्रमा पर मिलते है। फिलहाल अमेरिका के पास है और अमेरिका के वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि, यह ब्रह्मांड और लाइफ के लिए कितना इंपॉर्टेंट है।
Pyroclastic Glass Beads कहां से आए थे
अमेरिका ने 50 साल पहले अर्थात 1972 में अपना मिशन अपोलो 17 लांच किया था। तब चंद्रमा की मिट्टी में यह चमत्कारी हीरे जैसे दिखाई देने वाले दाने पृथ्वी पर आ गए थे। इनमें से एक खास प्रकार की रोशनी निकलती है। हीरे से भी ज्यादा चमकते हैं। ये 'मून बीड्स' (pyroclastic glass beads) 3.6 अरब साल पहले चंद्रमा पर हुए ज्वालामुखी विस्फोटों (volcanic eruptions) से निकले हैं। पिघला हुआ बेसाल्ट (molten basalt) अंतरिक्ष के निर्वात (vacuum) में उछला और हवा में जम गया (froze mid-flight), और बूंदों के रूप में चंद्रमा की सतह पर गिरा। ये दाने समय के कैप्सूल (time capsules) की तरह हैं, जो चंद्रमा के मैग्मा (deep lunar magma) की रासायनिक जानकारी (chemical signals) संरक्षित रखते हैं।
1972 में मिला था Orange treasure
1972 में अपोलो अंतरिक्ष यात्रियों (astronauts) ने शॉर्टी क्रेटर (Shorty Crater) पर नारंगी रंग की मिट्टी (orange deposit) देखी, जो टाइटेनियम युक्त मैग्मा (titanium-rich magmas) से बनी थी। ये चटकीले रंग (bright colors) चंद्रमा के अन्य हिस्सों में मिले हरे दानों (green beads) से अलग थे। दिल्ली के स्पेस रिसर्चर्स का कहना है कि ये नमूने चंद्रमा के ज्वालामुखी इतिहास (volcanic history) को समझने की कुंजी हैं।
नई टेक्नोलॉजी ने खोले राज
वाशिंगटन यूनिवर्सिटी (Washington University) के रयान ओग्लियोर (Ryan Ogliore) की टीम ने नैनोSIMS (NanoSIMS instrument) और एटम प्रोब टोमोग्राफी (atom probe tomography) जैसे आधुनिक उपकरणों से इन दानों का विश्लेषण किया। ये टूल्स दानों के आवरण को परमाणु स्तर (atom by atom) पर स्कैन करते हैं। ओग्लियोर कहते हैं, “50 साल पुराने नमूनों (samples) को अब नई टेक्नोलॉजी (technology) से समझ रहे हैं।” दिल्ली के वैज्ञानिकों का मानना है कि ये तकनीक भविष्य में और बड़े खुलासे करेगी।
Pyroclastic Glass Beads बाजार में आएंगे ट्रेडिंग होगी
चंद्रमा तक पहुंचना आसान हो गया है। कई प्राइवेट एजेंसी भी चंद्रमा तक अपनी पहुंच बना रही है। वह दिन दूर नहीं जब चंद्रमा से गुलाबी हीरे पृथ्वी पर लाए जाएंगे और हीरे से कहीं अधिक कीमत में ट्रेडिंग होगी क्योंकि इनकी उपलब्धता सीमित है और डिमांड तो इस दुनिया के बाजार में बढ़ ही जाती है। (साभार: इकारस जर्नल, नासा अपोलो डेटा)