भिंड के बाद रतलाम कलेक्टर को गोबर की धमकी, इस बार नेता नहीं विधायक - MP NEWS

मध्य प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से कलेक्टरों के प्रति अभद्र भाषा का प्रयोग होने लगा है। भिंड में आजाद समाज पार्टी के नेताओं ने मॉब लिंचिंग की धमकी दी गई थी। आज रतलाम में एक विधायक ने कुछ इसी प्रकार के शब्दों का प्रयोग किया है। कहा है कि अगली बार आएंगे तो गोबर भी लाएंगे। 

जब बड़ी संख्या में लोग अंदर घुसेंगे तो कलेक्टर को पसीना आ जाएगा

विधायक ने कहा कि हमने अधिकारियों को स्पष्ट कह दिया है कि सभी समस्याओं का समाधान (resolution) जल्द से जल्द करना होगा। यदि नहीं किया, तो हम आगे बहुत कुछ बड़ा करेंगे। आज हमने बाहर बैठकर ज्ञापन सौंपा और आवेदन-निवेदन किया है। अगली बार और अधिक लोग आएंगे। हम सीधे Collector (कलेक्टर) के चैंबर में जाएंगे। Collector (कलेक्टर) का चैंबर छोटा है। जब बड़ी संख्या में लोग अंदर घुसेंगे, तो उन्हें पसीना आ जाएगा। यदि समाधान (resolution) नहीं हुआ, तो एक माह में हम फिर आएंगे। सभी समस्याओं की माला बनाकर लाएंगे और Collector (कलेक्टर) को पहनाकर उनका स्वागत करेंगे। अब सोचिए, क्या कोई Collector (कलेक्टर) बेइज्जती का शिकार होना चाहेगा?

चाहे माला पहनानी पड़े, गोबर लाना पड़े, या कुछ और

विधायक ने कहा कि हम आंदोलनकारी लोग हैं। जैसे-जैसे हमारे दिमाग में विचार आएंगे, चाहे माला पहनानी पड़े, गोबर लाना पड़े, या कुछ और, हम लाएंगे। बारिश का समय है, कीचड़ हो जाएगा, तो कीचड़ भी लाएंगे। जो भी होगा, वह कानून के दायरे में होगा। हम आंदोलनकारी और पढ़े-लिखे लोग हैं, इसलिए हमें आंदोलन करना आता है।

यह मामला रतलाम जिले का है और Sailana MLA Kamleshwar Dodiyar (सैलाना विधायक कमलेश्वर डोडियार) द्वारा यह बयान दिया गया है। यह वही विधायक है जो लाइमलाइट में आने के लिए कुछ अजीब सा करते रहते हैं। इनके खिलाफ कई बार मामले दर्ज किया जा चुके हैं। आज उन्होंने कुछ आदिवासियों के साथ कलेक्टर कार्यालय आकर 29 समस्याओं की लिस्ट दी है। इसके साथ अपने भाषण में एक महीने का अल्टीमेटम दिया है। कहा है अगले महीने फिर आएंगे।

स्वभाव में जिस प्रकार के शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है यह मध्य प्रदेश की पहचान नहीं है। इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या मध्यप्रदेश में नेताओं ने मर्यादा त्याग दी है और बिहार उत्तर प्रदेश के कुछ नेताओं से प्रेरित होकर अभद्र भाषा का प्रयोग कर रहे हैं या फिर कलेक्टरों ने पब्लिक को इतना परेशान कर दिया है कि पब्लिक का धैर्य जवाब देने लगा है।

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