हनीमून से हत्याकांड तक: शिलांग मर्डर केस ने रिश्तों की नींव हिलाई - Hindi News

राजेश जयंत
, इंदौर। शिलांग मर्डर केस ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया, रिश्तों, भरोसे, संस्कारों, सोशल मीडिया और कानून-व्यवस्था पर कई सवाल खड़े किए। इंदौर के एक प्रतिष्ठित परिवार की बहू सोनम रघुवंशी और उनके पति राजा रघुवंशी की कहानी केवल एक मर्डर मिस्ट्री नहीं, बल्कि भारतीय समाज के बदलते स्वरूप, रिश्तों की जटिलताओं और सोशल मीडिया की ताकत का प्रतिबिंब है।

सोनम के गायब होने से मामला रहस्य, रोमांच और सनसनी से भर गया

इसकी शुरुआत एक सामान्य-सी अरेंज मैरिज से हुई, जिसमें परिवार की सहमति, धूमधाम से शादी और हनीमून के लिए मेघालय की खूबसूरत वादियों का सफर शामिल था। लेकिन अचानक दोनों के लापता होने, राजा का शव मिलने और सोनम के गायब होने से यह मामला रहस्य, रोमांच और सनसनी से भर गया।
सोशल मीडिया पर दुआओं, अपीलों और अफवाहों का सैलाब उमड़ पड़ा। कभी सोनम की सलामती के लिए प्रार्थनाएं, कभी पुलिस पर सवाल, तो कभी समाज में अविश्वास और गुस्से की लहर। 

कई परिवारों ने सोनम की उलटी तस्वीर घर के बाहर लगाई थी

जांच आगे बढ़ने पर सोनम और उसके प्रेमी राज कुशवाहा की साजिश सामने आई। यह खुलासा चौंकाने वाला था कि जिस सोनम की सलामती के लिए देशभर में प्रार्थनाएं हो रही थीं, वही इस जघन्य हत्याकांड की मास्टरमाइंड थी। इस सच ने उन लोगों को गहरा आघात पहुंचाया, जो सोनम की गुमशुदगी के दौरान उसकी सुरक्षा के लिए दुआएं कर रहे थे, सोशल मीडिया पर पोस्ट डाल रहे थे और भगवान महाकाल से उसकी रक्षा की प्रार्थना कर रहे थे। कई परिवारों ने टोटके के तौर पर सोनम की उलटी तस्वीर घर के बाहर लगाई थी, ताकि वह सुरक्षित लौटे। लेकिन जब पता चला कि सोनम ही अपने पति की हत्या की साजिशकर्ता थी, तो लोगों की भावनाएं आहत हुईं। दुख, गुस्सा और विश्वासघात का अहसास एक साथ उभरा। 

जिन्होंने रातें जागकर उसकी सलामती की दुआ की, वे अब खुद से सवाल कर रहे हैं कि आखिर वे किसके लिए प्रार्थना कर रहे थे।  

घटनाक्रम  
  • 11 मई: शादी  
  • 20 मई: शिलांग पहुंचे  
  • 23 मई: दोनों लापता, मोबाइल बंद  
  • 2 जून: राजा का शव मिला  
  • 8-9 जून: सोनम ने गाजीपुर में सरेंडर किया

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं

दंपति के लापता होने पर:  
  • लोग सोनम और राजा की सलामती के लिए दुआ कर रहे थे।  
  • सोनम की तस्वीर उलटी टांगने, पूजा-पाठ और टोटकों की चर्चा चली।  
  • सोशल मीडिया पर #FindSonam, #PrayForSonam जैसे hashtag ट्रेंड किए।

राजा का शव मिलने और सोनम के लापता रहने पर:  
  • लोगों ने महिला सुरक्षा, टूरिज्म, मेघालय राज्य की पुलिस और प्रशासन पर सवाल उठाए।  
  • मानव तस्करी, अपहरण या होटल संचालक की भूमिका पर शक जताया गया।  
  • सवाल उठे: "सोनम कहां है? क्या उसके साथ कुछ गलत हुआ?" और "मेघालय में टूरिस्ट कितने सुरक्षित हैं?"

सोनम के हत्या की साजिश में शामिल होने का खुलासा:  

  • सोशल मीडिया पर गुस्सा और हैरानी छा गई।  
  • लोग बोले, "इतना बड़ा विश्वासघात! जिसे बचाने की दुआ की, वही हत्यारन निकली।"  
  • सोनम के संस्कार, शिक्षा और चरित्र पर सवाल उठे।  
  • कुछ यूजर्स ने लिखा, "अब समाज में भरोसा कैसे बचेगा?" और "नवविवाहिताओं को शक की नजर से देखा जाएगा, यह समाज के लिए खतरनाक है।"

परिवार और रिश्तेदारों की प्रतिक्रिया  

राजा की मां: "सोनम को मौत की सजा मिले, उसने मेरे बेटे को जबरन शिलांग ले जाकर मारा।"  
सोनम के पिता: "मेरी बेटी निर्दोष है, उसे फंसाया गया। पुलिस की कहानी मनगढ़ंत है, सीबीआई जांच हो।"

समाज की सोच  

  • सोशल मीडिया पर भरोसा, रिश्ते और नैतिकता पर बहस तेज है।  
  • लोग पूछ रहे हैं, "ऐसे संस्कार कहां से आए? कैसी पढ़ाई, कैसा माहौल?"  
  • हत्या की वजह बताई जा रही है कि सोनम का अफेयर राज कुशवाहा से था, जिसके साथ मिलकर उसने यह साजिश रची।

सोनम के पिता देवी सिंह रघुवंशी का बयान

बताया जा रहा है कि सोनम पढ़ाई के बाद पिता की माइका कंपनी में ही काम करती थी। माइका कंपनी में ही वह एचआर हेड थी। वहीं, राज कुशवाह यहां मैनेजर का काम करता था। दोनों की पहचान यही हुई थी। बाद में यह पूरा मामला प्यार में बदल गया। सूत्रों के अनुसार सोनम और राज पहले आसपास ही रहते थे। बाद में राज कुशवाह ने वहां से घर खाली कर दिया था। सोनम के पिता देवी सिंह रघुवंशी ने कहा कि राज कुशवाह मेरी कंपनी में कर्मचारी है। उसका हाथ नहीं हो सकता है, वह हर दिन कंपनी में ड्यूटी आ रहा था। अब सोनम के परिवार वालों ने घर का दरवाजा बंद कर लिया है।

निष्कर्ष

इस मामले ने हर परिवार को सोचने पर मजबूर किया है, क्या हम अपने बच्चों को केवल डिग्री और करियर की दौड़ में धकेल रहे हैं, या उनके भीतर इंसानियत, संवेदनशीलता और नैतिकता के बीज बो रहे हैं?
सोशल मीडिया पर "आदर्श बहू", "आदर्श बेटा" या "आदर्श परिवार" दिखाने की होड़ में यह सचाई याद दिलाती है कि असली संस्कार व्यवहार से झलकते हैं, न कि दिखावे से।
घटना ने भरोसे की नींव हिला दी। लोग अब रिश्तों, परिवार और समाज के मूल्यों पर नए सिरे से सवाल उठा रहे हैं।
यह साफ संदेश देता है कि धर्म और संस्कार केवल शब्दों या रीति-रिवाजों तक सीमित नहीं होने चाहिए, बल्कि उन्हें जीवन में उतारना जरूरी है।
हमें बच्चों को सिखाना होगा कि असली धर्म सच्चाई, संवेदनशीलता और जिम्मेदारी है।
सिर्फ पढ़ाई या दिखावे से नहीं, बल्कि अच्छे आचरण और सही सोच से समाज मजबूत बनता है।
यह कहानी हमें झकझोरती है कि असली संस्कार संकट की घड़ी में आचरण से दिखते हैं, न कि केवल बातों में।  

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