मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में कलेक्टर के डायरेक्ट कंट्रोल में संचालित होने वाले रेवेन्यू डिपार्टमेंट के इंस्पेक्टर रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार कर लिए गए हैं। यह कार्रवाई मध्य प्रदेश शासन की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा की गई। इसके अंदर दूसरा बड़ा समाचार यह है कि, रिश्वत के रकम की वसूली तहसील कार्यालय परिसर के बिल्कुल बीचों-बीच और खुलेआम हो रही थी। यह मामला साबित करता है कि राजस्व विभाग में रिश्वतखोरी, न केवल कलेक्टर के कंट्रोल से बाहर है बल्कि कलेक्टर का संरक्षण प्राप्त है।
रिश्वत में ₹10000 मांगे, एक रुपए कम करने को तैयार नहीं थे
ईओडब्लू के डीएसपी डीके सिंह ने बताया कि आरोपी राजस्व निरीक्षक जगदीश पटेल ने धार्मिकखेड़ी निवासी लखन यादव से उसकी पत्नी श्रीमती देव भाई की जमीन के सीमांकन के लिए दस हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी। शिकायतकर्ता लखन यादव ने रिश्वत देने से इनकार किया, लेकिन लगातार दबाव और सीमांकन में देरी के चलते उसे पहले 4 हजार और फिर 2 हजार रुपए देने पड़े।
₹6000 रिश्वत देने के बाद किसान का धैर्य टूट गया
बची हुई राशि 4000 रुपए की मांग जब फिर से की गई, तब पीड़ित ने आर्थिक अपराध शाखा से संपर्क किया। योजनाबद्ध तरीके से टीम ने ट्रैप बिछाया और सोमवार को तहसील परिसर में ही आरोपी जगदीश पटेल को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
पब्लिक परेशान थी इसलिए जगदीश पटेल को नियुक्त किया गया था
जगदीश पटेल का हाल ही में खिलचीपुर तहसील से नरसिंहगढ़ में तबादला हुआ था। क्षेत्र में सीमांकन और राजस्व मामलों में रिश्वत मांगने की शिकायतें लगातार सामने आ रही थीं। आम जनता में उसके खिलाफ नाराजगी थी और यह कार्रवाई आम लोगों को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक उम्मीद के रूप में देखी जा रही है।
राजस्व निरीक्षक जगदीश पटेल को पकड़ने वाली टीम
इस कार्रवाई को सफल बनाने वाली ईओडब्लू की ट्रैप टीम में निरीक्षक हरिओम दीक्षि, निरीक्षक वंदना मैड, निरीक्षक आरती गौतम, निरीक्षक राजकुमार यादव, उप निरीक्षक डीके सिंह एवं अन्य सहयोगी अधिकारी शामिल थे।