Police FIR दर्ज करने के बाद Investigation करती है और जब गवाह एवं सबूतों (witnesses and evidence) के आधार पर Police को यह विश्वास हो जाता है कि accused ने ही Crime किया है, तब उसे Court में सजा के निर्धारण के लिए प्रस्तुत किया जाता है। प्रश्न यह है कि जब पुलिस Investigation में एक व्यक्ति अपराधी Prove हो जाता है तो फिर Court को किस कानून ने यह अधिकार दिया कि वह पुलिस द्वारा घोषित (Declared) अपराधी को दोषमुक्त (Acquitted) कर दे।
BHARATIYA NAGARIK SURAKSHA SANHITA, 2023 की धारा 255
दोषमुक्ति (Acquittal):- जब Court में किसी Crime के विषय में Trial चल रहा होता है तब Court के सामने Prosecution और Accused दोनों पक्षों की ओर से गवाह एवं सबूत प्रस्तुत किए जाते हैं। Court दोनों पक्षों को समान भाव से सुनता है और जब विधि के अनुसार यह विश्वास करने के पर्याप्त कारण उपलब्ध हो जाते हैं कि पुलिस द्वारा अपराधी घोषित किए गए व्यक्ति ने Crime नहीं किया है तब BNSS की धारा 255 के तहत Accused को दोष मुक्त घोषित किया जाता है।
BNSS की धारा 250 उन्मोचन एवं BNSS की धारा 255 दोषमुक्ति में अन्तर:-
Difference between section 250 (discharge) of BNSS and section 255 (acquittal) of BNSS)
1. उन्मोचन अंतिम न्याय निर्णय नहीं है जबकि दोषमुक्ति अंतिम न्याय निर्णय होगा।
2. दोषमुक्ति होने पर दोबारा उस अपराध का विचारण नहीं किया जाएगा लेकिन उन्मोचन होने के बाद दोबारा अपराध पर विचारण हो सकता है।
3. आरोपी को उन्मोचन जमानत के आधार पर दिया जाता है जबकि दोषमुक्ति में जमानत की आवश्यकता नहीं होती है। लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article.
डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।