BNSS - 222, राष्ट्रपति, मंत्री या कर्मचारी की मानहानि पर न्यायालय कब संज्ञान लेगा, जानिए

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Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 की धारा 356 से लेकर 356(4) तक मानहानि (Defamation) का अपराध होता है, अर्थात किसी भी व्यक्ति को मान सम्मान (Respect) को क्षति (Damage) या ठेस(Prod) पहुँचना या व्यक्ति पर किसी भी प्रकार का लांछन लगाना मानहानि (Defamation) होती है, लेकिन मानहानि के अपराध का संज्ञान  Court कब और कब नहीं लेगा जानते हैं।

BHARATIYA NAGARIK SURAKSHA SANHITA, 2023 की धारा 222 की परिभाषा 

1. पीड़ित व्यक्ति (Sufferer) के साथ पर अन्य व्यक्ति कब न्यायालय में परिवाद दायर कर सकता हैं:-
• जब पीड़ित व्यक्ति अठारह वर्ष से कम आयु का है।
• जड़ या पागल (Root or crazy) है बुद्धि (Wisdom)का हो।
• रोग या विकलांगता(Disabled) के कारण परिवाद दायर करने के असमर्थ हैं।
• या कोई स्त्री किसी प्रथा, रूढ़ियों या रीतियों के अनुसार सामने आने में असमर्थ है।
उपर्युक्त व्यक्ति की और से अन्य कोई व्यक्ति  Court की Permission से परिवाद कर सकता है,Court मे Complaint के बाद ही मामले का संज्ञान लेगा अन्यथा नहीं।

2. Government servant या राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, केन्द्र या राज्य के मंत्री (Minister of Center or State) आदि की मानहानि पर Court कैसे संज्ञान लेगा जानिए :-
"अगर BHARATIYA NYAYA SANHITA, 2023 की धारा 356 के अंतर्गत का अपराध भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यों के राज्यपाल, केंद्र या राज्य के कोई प्रशासक (Administrator), केंद्रीय सरकार के मंत्री या राज्य सरकार के मंत्री,केन्द्र या राज्य के कार्यकलापों में नियोजित कोई भी लोकसेवक (Any population employed in state activities) (शासकीय सेवक) की कोई अन्य व्यक्ति मानहानि करता है तब Session court लोक-अभियोजक (Public prosecutor) द्वारा की लिखित(Written) परिवाद पर मामले का संज्ञान लेगा अन्यथा नहीं।

लोक-अभियोजक (Public prosecutor) परिवाद कब दायर करेगा:-

• अगर कोई व्यक्ति किसी राज्य का राज्यपाल हो या रहा हो, अगर कोई राज्य सरकार का मंत्री हो गया रहा है, या राज्य की कार्यपालिका में नियोजित कोई लोक सेवक हो तब लोक-अभियोजक को राज्य सरकार की मंजूरी की लेना आवश्यक है।
• अगर कोई केंद्र के अधीनस्थ हैं अर्थात राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, केंद्रीय सरकार के शासकीय कर्मचारी की मानहानि हैं तो लोक अभियोजक को केंद्रीय सरकार की अनुमति लेना आवश्यक है। 

नोट:- BHARATIYA NAGARIK SURAKSHA SANHITA, 2023 की धारा प्रक्रिया संहिता की धारा 222(5) के अनुसार राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल, मंत्रियों या लोकसेवक पर मानहानि के संज्ञान लेने की परिसीमा मानहानि से छः मास के अंदर परिवाद दायर कर सकता है उसके बाद न्यायालय अपराध का संज्ञान नहीं लेगा। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।  

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