मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। इसमें एक नाबालिग बेटी ने अपने माता-पिता के खिलाफ ही केस दर्ज कराया है। बेटी ने अपने माता-पिता पर Violation of Human Freedom (मानवीय स्वतंत्रता के हनन) का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज कराई है। उसने पुलिस को बताया कि बात न मानने पर माता-पिता उसके साथ Physical Abuse (मारपीट) करते हैं।
माता-पिता उसे दोस्तों से मिलने से रोकते हैं
दरअसल, नाबालिग बेटी देर रात तीन बजे अपने दोस्तों से मिलना चाहती थी, जिसके लिए माता-पिता ने स्पष्ट रूप से मना कर दिया। इसके बाद बेटी ने उन पर Violation of Human Freedom का आरोप लगाकर Case Filed कर दिया। बेटी ने अपनी शिकायत में बताया कि उसके माता-पिता अक्सर उसे दोस्तों से मिलने से रोकते हैं। यदि वह उनकी बात नहीं मानती, तो वे उसे Physical Assault (मारपीट) करते हैं।
माता-पिता के खिलाफ मानवीय स्वतंत्रता के हनन का मामला दर्ज
हनुमानगंज थाना पुलिस ने इस शिकायत के आधार पर माता-पिता के खिलाफ Case Registered कर लिया है। वहीं, नाबालिग के माता-पिता ने पुलिस को बताया कि बेटी की भलाई के लिए ऐसा कदम उठाना जरूरी था। इस पूरे मामले में Additional DCP शैलेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि नाबालिग बच्ची ने शिकायत दर्ज की है। उसका आरोप है कि माता-पिता उसके साथ Physical Abuse करते हैं और कई मामलों में Restrictions (रोक-टोक) करते हैं।
शिकायत के आधार पर Case Filed किया गया है। माता-पिता से भी बातचीत की जा रही है। दोनों पक्षों के दावों के आधार पर Investigation (जांच) की जा रही है।
मानवीय स्वतंत्रता के हनन का मामला क्या होता है
"मानवीय स्वतंत्रता के हनन" का मामला तब होता है जब किसी व्यक्ति के उन मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया जाता है जो उसे मानव होने के नाते प्राप्त होते हैं। ये अधिकार किसी भी व्यक्ति को गरिमापूर्ण जीवन जीने, अपनी पसंद के अनुसार कार्य करने और समाज में स्वतंत्र रूप से रहने के लिए आवश्यक होते हैं।
भारत में, मानवीय स्वतंत्रता और मानवाधिकारों को भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) में शामिल किया गया है, जो भाग III में अनुच्छेद 12 से 35 तक वर्णित हैं। इनमें से कुछ प्रमुख अधिकार और उनके उल्लंघन के उदाहरण हैं:
समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18): जाति, धर्म, लिंग, वंश या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव करना, अस्पृश्यता का पालन करना या उपाधियों का दुरुपयोग करना इसका हनन है।
स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22): इसमें बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्वक इकट्ठा होने की स्वतंत्रता, संघ बनाने की स्वतंत्रता, भारत के किसी भी हिस्से में आने-जाने और बसने की स्वतंत्रता, और कोई भी पेशा या व्यवसाय करने की स्वतंत्रता शामिल है। गैरकानूनी गिरफ्तारी, मनमानी हिरासत, यातना, आदि इस अधिकार का उल्लंघन है।
शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24): इसमें मानव दुर्व्यापार (जैसे मानव तस्करी), बेगार (जबरन श्रम) और 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को खतरनाक उद्योगों में काम पर रखना शामिल है। बंधुआ मजदूरी, बाल मजदूरी, बाल विवाह आदि इसके उदाहरण हैं।
जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21): यह सबसे महत्वपूर्ण अधिकारों में से एक है। इसमें गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार, निजता का अधिकार, स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार आदि शामिल हैं। किसी व्यक्ति को बिना कानूनी प्रक्रिया के उसके जीवन और स्वतंत्रता से वंचित करना इसका हनन है।
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