204 BNS - फर्जी अधिकारी के खिलाफ कब मामला दर्ज होता है और कब नहीं, जानिए

जब कोई व्यक्ति स्वयं को सरकारी अधिकारी बताता है जबकि वह सरकारी अधिकारी नहीं है तो हम उसे सामान्य बातचीत की भाषा में फर्जी अधिकारी कहते हैं, परंतु भारतीय न्याय संहिता "फर्जी अधिकारी" को अलग प्रकार से परिभाषित करती है। यही कारण है कि हम जिसे फर्जी अधिकारी कहते हैं कई बार पुलिस उसके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं करती बल्कि पाबंदी की कार्रवाई करके छोड़ देती है। आईए जानते हैं कि, फर्जी अधिकारियों के खिलाफ कब मामला दर्ज होता है और कब नहीं।

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 204 की परिभाषा 

जो कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक का रूप धारण करके कोई अपराध करेगा या करने का प्रयास करेगा या स्वयं को कोई विशिष्ट अधिकारी बताकर कोई अवैध कार्य करेगा या करने का प्रयास करेगा, वह व्यक्ति BNS की धारा 204 के अंतर्गत दोषी होगा।
यह धारा लागू होने के लिए दो मुख्य बातें होना चाहिए:- 
1. किसी विशिष्ट लोक सेवक या अधिकारी का रूप धारण किया गया है, वास्तव मे वह व्यक्ति विशिष्ट लोक सेवक नहीं था।
2. पद से संबंधित कोई अपराध किया गया हो या उससे ही संबंधित किसी अपराध करने का प्रयास किया गया हो।

उदाहरण अनुसार:- अगर कोई व्यक्ति स्वयं को CID का ऑफिसर बताकर ट्रेन में फ्री यात्रा करता है, तब वह व्यक्ति "लोक सेवक का रूपांतरण के अपराध" से दोषी नहीं होगा। अगर वही व्यक्ति क्राइम इन्वेस्टिगेशन करता है, किसी अपराध की जांच में हस्तक्षेप करता है, किसी अपराध की जांच को प्रभावित करने की कोशिश करता है, अर्थात किसी भी प्रकार से सीआईडी अधिकारी के पद का दुरुपयोग करता है अथवा दुरुपयोग करने का प्रयास करता है तो वह व्यक्ति BNS की धारा 204 के अपराध से दोषी होगा।

कुल मिलाकर, जिस विभाग के विशिष्ट पद पर रहने वाले लोक सेवक का बनावटी रूप धारण किया है, उसी पद से संबंधित या विभाग से संबंधित अपराध किया जाना या अपराध किए जाने का प्रयास किया गया हो।

Bharatiya Nyaya Sanhita Section 204 Provision of punishment

यह अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय होते हैं अर्थात पुलिस थाने में इस अपराध के खिलाफ डायरेक्ट एफआईआर दर्ज होगी, या लोक सेवक किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद (शिकायत) भी दर्ज करवा सकता है। इन अपराध की सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है एवं यह अपराध समझौता योग्य नहीं होते हैं। इस अपराध के लिए अधिकतम दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें। 

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