74 BNS - महिला को उसकी मर्जी के बिना हाथ भी लगाना कितना गंभीर अपराध है, जानिए

Bhopal Samachar
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भारतीय संविधान में महिला एवं पुरुषों को समानता का अधिकार प्राप्त है। अगर कोई व्यक्ति महिला की लज्जा भंग करता है तो उसके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई होगी। जानिए क्या है महिला की लज्जा भंग का अपराध।

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 74 की परिभाषा

अगर कोई व्यक्ति किसी स्त्री की लज्जा भंग करने के लिए उस पर हमला करता है या आपराधिक बल का प्रयोग करता है, तब वह व्यक्ति BNS की धारा 74 के अंतर्गत दोषी होगा। 
स्त्री लज्जा भंग का अपराध कब कब होगा:-
1. सार्वजनिक स्थान पर स्त्री पर हमला करना।
2. बलात्कार के लिए स्त्री पर हमला करना।
3. स्त्री के कपड़े खींचना।
4. स्त्री का उसकी मर्जी के बिना जबरदस्ती हाथ पकड़ना।

न्यायालय के महत्वपूर्ण निर्णय

▪︎ राजस्थान राज्य बनाम विजय राम:- मामले में न्यायालय ने विनिश्चित किया कि सार्वजनिक स्थान पर पत्नी को चूमना या उसके रिश्तेदारों के सामने उसका लहंगा ऊपर उठाना, धारा 354 का अपराध होता है।
▪︎ अजय कुमार दास उर्फ कंकू बनाम उड़ीसा राज्य मामले मे न्यायालय ने कहा कि मेले में किसी महिला को गलत तरीके से एवं प्राइवेट अंग को स्पर्श करना धारा 354 (अब BNS की धारा 74 के अंतर्गत) का अपराध होता है।
▪︎ राजू पांडुरंग महाले बनाम महाराष्ट्र मामले मे सुप्रीम कोर्ट ने साफ साफ कहा है कि स्त्री की लज्जा एक आभूषण होती है। उनका समाज मे महत्वपूर्ण स्थान होता है। इसलिए अगर कोई व्यक्ति बुरे इरादे से किसी महिला की साड़ी में हाथ भी लगता है तो उसे दण्डित किया जाना अति-आवश्यक होगा। 

▪︎ पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राईटस बनाम पुलिस कमिश्नर दिल्ली मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अभिनिर्धारित किया कि अगर किसी निकाय या किसी फैक्टरी, कंपनियों में काम करने वाली महिलाओं के साथ अधिकारी या कर्मचारियों द्वारा स्त्री की लज्जा भंग का अपराध किया जाता है, तो अधिकारियों के वेतन द्वारा महिलाओं को क्षति पूर्ति दी जाएगी।

Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 section 74 Punishment

इस धारा के अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय होते हैं, अर्थात इस अपराध में डायरेक्ट पुलिस एफआईआर लिख सकती है लेकिन ज़मानत के लिए कोर्ट में आवेदन करना होगा। इस अपराध की सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है। यह अपराध समझोता योग्य नहीं है, अर्थात्‌ इस अपराध में राजीनामा नहीं किया जा सकता है, लेकिन हाइकोर्ट की अनुमति से परिस्थितियों को देखते हुए राजीनामा किया जा सकता है। इस अपराध के लिए अधिकतम पांच वर्ष की कारावास और जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें। 

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