श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाता है। इस वर्ष 19 अगस्त 2024 को सूर्योदय के पूर्व से लेकर सूर्यास्त के पश्चात तक पूर्णिमा तिथि रहेगी इसलिए कोई संशय नहीं है। रक्षाबंधन का त्योहार 19 अगस्त को पूरे विश्व में मनाया जाएगा।
RAKHI KA MUHURT
- रक्षा बन्धन भद्रा अन्त समय - प्रातः 05:53 बजे से दोपहर 01:32 बजे तक।
- रक्षा बन्धन अनुष्ठान का समय - दोपहर 01:30 से रात 09:08 मिनट तक।
- रक्षा बन्धन के लिये अपराह्न का मुहूर्त - दोपहर 01:43 से शाम 4:20 मिनट।
- रक्षा बन्धन के लिए प्रदोष काल का मुहूर्त - शाम 06:56 से रात 09:08 मिनट तक।
भद्रा काल (प्रातः 05:53 बजे से दोपहर 01:32 बजे तक) में राखी बांधना अत्यंत अशुभ माना जाता है। इसलिए किसी भी स्थिति में प्रातः 05:53 बजे से दोपहर 01:32 बजे तक राखी बांधना निषेध है।
रक्षाबंधन का सबसे शुभ मुहूर्त दोपहर 01:43 से शाम 4:20 बजे तक है। यदि यह चूक जाता है तो शाम 06:56 से रात 09:08 बजे तक राखी बांधना शुभ होगा।
रक्षाबंधन की कथा क्रमांक 1
द्वापर युग में शिशुपाल का वध करते समय सुदर्शन चक्र से भगवान श्री कृष्ण की उंगली कट गई थी। तत्समय द्रौपदी ने अपने पल्लू को फाड़ कर भगवान श्री कृष्ण की उंगली से बहते हुए रक्त को रोक दिया था। इस प्रसंग के बाद से ही द्रौपदी को "कृष्णा" के नाम से पुकारा गया। इसके बाद से महिलाएं भगवान श्री कृष्ण को रेशम के धागे से बने रक्षा सूत्र बांधती हैं एवं प्रार्थना करती है कि जिस प्रकार आपने कौरवों की सभा में द्रोपदी की रक्षा की थी, ठीक उसी प्रकार हमारी भी रक्षा करना।
रक्षाबंधन की कथा क्रमांक दो
शुक्राचार्य की रणनीति के चलते राजा बलि तीनों लोकों का स्वामी हो गया। इसके कारण ब्रह्मांड का संतुलन बिगड़ गया। भगवान श्री हरि विष्णु ने वामन अवतार लिया और दो पग में पूरा ब्रह्मांड मुक्त करवा लिया। तीसरे पग के लिए राजा बलि ने स्वयं को समर्पित कर दिया। यह देखकर भगवान श्री हरि विष्णु प्रसन्न हो गए। उन्होंने राजा बलि से वरदान मांगने को कहा। राजा बलि ने भगवान श्री हरि विष्णु से प्रार्थना की कि आप मेरे शेष जीवन तक मेरे साथ रहें। इस वरदान के कारण श्री हरि विष्णु, माता लक्ष्मी से अलग हो गए। तब माता लक्ष्मी एक निर्धन महिला का रूप धारण करके राजा बलि के द्वार पर पहुंची। उन्होंने राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधा, राजा बलि ने माता लक्ष्मी को अपनी बहन के रूप में स्वीकार किया और रक्षा सूत्र बांधने के बदले में उपहार स्वरूप श्री हरि विष्णु को मुक्त कर दिया।
संस्कृत का यह श्लोक तो आपने भी सुना होगा। यह इसी प्रसंग का श्लोक है।
येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:।।
पृथ्वी से लेकर स्वर्ग तक पूरे ब्रह्मांड में जब भी कोई किसी को रक्षा सूत्र बनता है तो वह इसी श्लोक का वाचन करता है।
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