लोक सेवक के आदेश की अवहेलना करना कब अपराध होता है जानिए - Legal Advice

दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 143 लोक न्यूसेंस, 144 आंशिक खतरे या न्यूसेंस, से निपटने के लिए सरकार द्वारा कर्फ्यू आदेश एवं धारा 145 में बताया गया है कि जहां भूमि विवाद या जल विवादों में परिशान्ति भाग होती है, वहाँ लोक सेवक शांति बनाए रखने के लिए आदेश देगा। कुछ सिविल मामलों मे भी लोक सेवक द्वारा शांति बनाए रखने के लिए आदेश जारी किए जाते हैं। इन्हीं आदेशों को कोई व्यक्ति नहीं मानता है या जानबूझकर आदेश की अवहेलना करता है तब उस व्यक्ति के खिलाफ क्या कानूनी कार्रवाई होगी जानिए।

नोट कर लीजिए

1. CrPC की धारा 143 अब नए कानून BNSS में 162 होगी।
2. CrPC की धारा 144 अब नए कानून BNSS में 163 होगी।
3. CrPC की धारा 145 अब नए कानून BNSS में 164 होगी।

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 एवं भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 188 की परिभाषा

किसी लोक सेवक द्वारा विधि के अनुसार शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए कोई आदेश दिया गया है और कोई व्यक्ति जानबूझकर कर इस आदेश की अवज्ञा करता है। वह व्यक्ति BNS की धारा 223 एवं IPC की धारा 188 के अंतर्गत दोषी होगा। 
इस अपराध को होने के लिए निम्न तत्व का होना आवश्यक है:-
1. आदेश की प्राधिकार वाले लोक सेवक द्वारा दिया गया हो।
2. आदेश की जानकारी आरोपी को होना चाहिए या दी गई हो। 
3. आरोपी द्वारा आदेश की अवज्ञा की गई हो।
4. आदेश अवज्ञा के परिणामस्वरूप कोई लोक शांति भंग, बाधा, क्षोभ, क्षति, या परेशानी उत्पन्न हुई हो।

उदहारण अनुसार:- SDM द्वारा आदेश दिया गया है कि किसी स्थान से जुलूस निकालना लोक परिशांति भंग होने का खतरा है लेकिन इस आदेश के बाद भी आरोपी उस स्थान से जुलूस निकाल लेता है तब आरोपी इस धारा के अंतर्गत दोषी होगा।

Bharatiya Nyaya Sanhita Section 223 or Indian Penal Code Section 188 Provision of punishment

यह अपराध, संज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं अर्थात पुलिस थाने में इस अपराध के खिलाफ डायरेक्ट एफआईआर दर्ज नहीं होगी लेकिन पुलिस थाने से एनसीआर लिखी जा सकती है एवं इस अपराध के लिए कोई भी न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद (शिकायत) दर्ज होगा। परिवाद किसी लोकसेवक के द्वारा दर्ज होगा। इस अपराध की सुनवाई कोई भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है। इस धारा के अपराध के दण्ड को नए कानून में दो भागों में बांटा गया है:-
1. लोक सेवक के उस आदेश की अवज्ञा करना जिससे व्यक्तियों को बाधा, नुकसान, क्षति उत्पन्न होने वाली है तब आरोपी को छ: माह की सादा कारावास या दो हजार पाँच सौ रुपए जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। 
 2. लोक सेवक के उस आदेश की अवज्ञा करना जिससे मानव जीवन, स्वास्थ्य या सुरक्षा को संकट हो, या बलवा, दंगा करे या होने की प्रवृत्ति हो तब आरोपी को एक वर्ष की सादा कारावास या पाँच हज़ार रुपये जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
नोट:- राज्य सरकार अधिसूचना जारी करने इस धारा के अपराध को जमानतीय से अज़मानतीय कर सकती है।

लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।

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