समुद्र के तूफान से पैदा हुए बादलों को ईरान के आसमान में मौजूद चक्रवात ने भारत की तरफ धकेल दिया था। बादल इतनी तेजी से आगे बढ़ रहे थे कि, मौसम वैज्ञानिक भी चिंता में पड़ गए थे। पूर्वानुमान जारी किया गया था कि हिमालय पर करके दिनांक 19 अप्रैल को ईरानी बदल भारत की सीमा में प्रवेश कर जाएंगे। सबसे पहले राजस्थान और फिर दिल्ली एवं मध्य प्रदेश में भरी आंधी, बारिश और ओलावृष्टि का कारण बन सकते हैं। आईए जानते हैं कि ईरानी बादल भारत के आसमान में कहां तक पहुंचे और भारत के कितने राज्यों में कब तक पहुंचेंगे।
ईरानी बादल पाकिस्तान में फट गए, भयंकर बाढ़
ईरान से भारत की ओर चले बादल ओवरलोड हो गए थे। नमी की मात्रा इतनी ज्यादा थी कि हिमालय से टकराने से पहले ही पाकिस्तान और अफगानिस्तान के आसमान में एक दूसरे से टकराकर फट गए। पाकिस्तान के दक्षिण पश्चिम इलाके में भीषण बाढ़ आ गई है। समाचार लिखे जाने तक 14 लोगों की डेड बॉडी की पहचान की जा चुकी है। पंजाब प्रांत में 21 लोगों की मृत्यु और बलूचिस्तान में 10 लोगों की मृत्यु के समाचार हैं। बलूचिस्तान में इस बाढ़ के कारण आपातकाल की घोषणा कर दी गई है।
भारत के पंजाब में मध्यम तूफान की संभावना
भारत का पंजाब राज्य पाकिस्तान के साथ बॉर्डर शेयर करता है। इसलिए भारत के पंजाब राज्य में संगरूर, बरनाला, पटियाला, एसएएस नगर, फतेहगढ़ साहिब, लुधियाना, रूपनगर, जालंधर, कपूरथला, एसबीएस नगर, होशियारपुर, गुरदासपुर के कुछ हिस्सों में बिजली गिरने और ओलावृष्टि की संभावना है।
दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा मौसम का पूर्वानुमान
मौसम विभाग से मिल रही जानकारी के अनुसार, ईरानी बदल हिमालय पर करके भारत की सीमा में प्रवेश कर गए हैं। राजस्थान के कुछ इलाके और दिल्ली के आसमान में दिखाई देने लगे हैं लेकिन, जितना अनुमान लगाया गया था, बादलों में उतना दम नहीं है। यह बादल कमजोर है, गरजने वाले बादल हैं, बहुत कम स्थान पर बरसेंगे। हालांकि इनके कारण भारत के कुछ राज्यों में हर रोज बढ़ रहे तापमान से थोड़ी राहत जरूर मिलेगी। भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, पानीपत, गोहाना, गन्नौर (हरियाणा) शामली, कांधला (उत्तर प्रदेश) दिल्ली के अक्षरधाम, नेहरू स्टेडियम, लाजपत नगर, कालकाजी, एनसीआर के गाजियाबाद, इंदिरापुरम, छपरौला, नोएडा, कुरूक्षेत्र, करनाल, असंध, सफीदों इलाकों में बदल घने हैं और हल्की बारिश होगी।
भारत के हिमालय वाले क्षेत्र उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, लद्दाख, वैष्णो देवी यात्रा क्षेत्र इत्यादि में मौसम कभी भी खराब हो सकता है।
बादलों की लाइव लोकेशन
- पश्चिमी विक्षोभ उत्तरी पाकिस्तान और आसपास के इलाकों पर है।
- प्रेरित चक्रवाती परिसंचरण मध्य पाकिस्तान और पंजाब के ऊपर बना हुआ है।
- असम के मध्य भागों पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है।
- एक ट्रफ उत्तर-पश्चिम बिहार से मध्य असम पर बने चक्रवाती परिसंचरण तक फैला हुआ है।
- एक चक्रवाती परिसंचरण मराठवाड़ा के ऊपर बना हुआ है।
- एक ट्रफ रेखा मराठवाड़ा से आंतरिक कर्नाटक होते हुए दक्षिणी तमिलनाडु तक फैली हुई है।
- बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पूर्व पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है।
- ताजा वेस्टर्न डिस्टरबेंस 22 अप्रैल से उत्तर पश्चिम भारत को प्रभावित करेगा।
अगले 24 घंटों के दौरान मौसम की संभावित गतिविधि
- अगले 24 घंटों के दौरान, 20 से 21 अप्रैल के बीच जम्मू कश्मीर, लद्दाख, गिलगित-बाल्टिस्तान, हिमाचल प्रदेश में और 20 अप्रैल को उत्तराखंड में तूफान, बिजली और तेज़ हवाओं (40-50 किमी प्रति घंटे) के साथ बारिश और बर्फबारी हो सकती है।
- 20 से 21 अप्रैल के बीच उत्तरी पंजाब, उत्तरी हरियाणा में गरज, बिजली और तेज़ हवाओं (30-40 किमी प्रति घंटे) के साथ छिटपुट बारिश हो सकती है।
- 20 से 21 अप्रैल के बीच पूर्वोत्तर भारत में हल्की से मध्यम बारिश और तूफान संभव है।
- 20 और 22 अप्रैल को उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम में हल्के से मध्यम बारिश हो सकती है।
- 20 से 22 अप्रैल के बीच मध्य महाराष्ट्र और मराठवाड़ा में छिटपुट हल्की बारिश संभव है।
- केरल, तटीय आंध्र प्रदेश और आंतरिक कर्नाटक में छिटपुट वर्षा हो सकती है।
प्री-मॉनसून की लोकेशन पढ़िए
- प्री-मॉनसून प्रायद्वीपीय ट्रफ़ के विस्तार के एक भाग के रूप में एक चक्रवाती परिसंचरण, 20 अप्रैल को उत्तरी तेलंगाना, दक्षिणी छत्तीसगढ़ और इससे सटे ओडिशा पर आ रहा है। यह पूर्व की ओर स्थानांतरित हो जाएगा और 21 अप्रैल को तट के करीब पहुंच जाएगा ।
- बंगाल की खाड़ी के ऊपर प्रतिचक्रवात परिसंचरण क्षेत्र में नम हवा को बढ़ावा देगा। लगातार बनी रहने वाली गर्मी क्षेत्र में बारिश और तूफान के लिए उत्प्रेरक के रूप में काम करेगी।
- ओडिशा को 21 अप्रैल से कुछ राहत मिल सकती है और मौसम की गतिविधि 25 अप्रैल तक जारी रहेगी और उसके बाद कम हो जाएगी। गंगीय पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में 22 और 23 अप्रैल को छिटपुट बारिश और गरज के साथ बौछारें पड़ेंगी ।
- 24 अप्रैल को प्रसार कम हो जाएगा और दीघा, कोंटाई, डायमंड हार्बर आदि जैसे चरम दक्षिणी भागों तक सीमित हो जाएगा। गतिविधि 25 अप्रैल को राज्य से हट जाएगी जिससे सप्ताह के बाकी दिनों के लिए मौसम साफ रहेगा।
- यह गतिविधि 25 अप्रैल को भी ओडिशा में जारी रहेगी और अगले दिन 26 अप्रैल को समाप्त हो जाएगी । इस दौरान तेज हवाओं के साथ आंधी-तूफान के अलावा कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि की भी संभावना है।
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