बहुत से हिन्दू धर्म के व्यक्ति सोचते हैं कि वह पहली पत्नी को तलाक दिए बिना अन्य धर्म को अपनाकर किसी महिला से दूसरा विवाह कर लें तो यह अपराध नहीं होगा क्योंकि जिस धर्म को उन्होंने अपना लिया है उस धर्म में दूसरा विवाह करना अपराध नहीं है। आईए जानते हैं कि क्या सचमुच यह धारणा सही है।
हिन्दू द्वारा धर्म परिवर्तन करना
यदि कोई हिन्दू व्यक्ति अपने धर्म का त्याग कर किसी अन्य धर्म को स्वीकार कर लेता है तो वह केवल इस प्रकार धर्म परिवर्तन मात्र से अपने वैवाहिक बंधनों एवं दायित्वों से मुक्त नहीं हो जाता है, क्योंकि उसका वैवाहिक दायित्व विखंडनीय नहीं है।
यदि कोई हिन्दू महिला जिसका कि वैध विवाह के अंतर्गत हिन्दू पति जिवित है वह भी धर्म त्याग कर किसी मुसलमान या ईसाई व्यक्ति से उसका धर्म स्वीकार कर विवाह कर लेती है तो वह भी भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 81 एवं दण्ड संहिता, 1860 की धारा 494 के अंतर्गत पुनः विवाह के अपराध के लिए दोषी होगी।
कलन्जियम अम्माल बनाम शंभुग़म वाद:-
इस मामले मे आरोपी एक विवाहित हिन्दू व्यक्ति था जिसने ईसाई धर्म स्वीकार करने के बाद उसे त्याग दिया और पुनः हिन्दू धर्म स्वीकार करके हिन्दू रीति के अनुसार द्वितीय विवाह किया। न्यायालय ने आरोपी को IPC की धारा 494 के अंतर्गत पुनः विवाह के अपराध के लिए दोषी माना। लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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