दहेज हत्या में निर्दोष लेकिन दहेज की मांग साबित तो क्या सजा मिलेगी - legal advice

सुप्रीम कोर्ट ने बहुत से मामलों में कहा है कि किसी भी व्यक्ति को सन्देह, शक, कहा-सुनी या अधूरे साक्ष्यों के आधार पर अपराधी मानना सही नहीं है जब तक उसके खिलाफ ठोस साक्ष्य साबित न हो जाए। 

अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ़ सिर्फ दहेज एक्ट, या दहेज हत्या के मामला दर्ज है और यह साबित नहीं हो पा रहा हैं, न उसके खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य मिल पा रहा हैं लेकिन यह मात्र साबित हो रहा है कि आरोपी ने दहेज की माँग की थी तब आरोपी को दण्ड मिलेगा या माफी जानिए महत्वपूर्ण निर्णय:-

1. शंकर प्रसाद बनाम राज्य वाद:- इस मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि अगर किसी व्यक्ति पर दहेज निवारण एक्ट, 1961 की धारा 04 एवं धारा 02(1) के अंतर्गत मामला दर्ज है और यह साबित नहीं हो पा रहा है तब आरोपी को धारा 498-क के अंतर्गत दहेज मांगने के अपराध से दण्डित किया जाना न्यायोचित होगा, क्योंकि दहेज की माँग मात्र करना 498क के खंड (ख) के अंतर्गत अपराध होता है।

2. बड्डे रामाराव बनाम आंध्र प्रदेश राज्य वाद:- इस मामले में यह साबित हो चुका था कि रामाराव अपनी पत्नी के साथ दहेज की शेष राशि तथा अतिरिक्त दहेज की माँग करने हेतु अपने ससुराल गया था परतुं ससुर द्वारा दहेज की राशि देने से इन्कार किए जाने पर वह अपने घर वापस लौट रहा था उसकी पत्नी स्वेच्छा उसके साथ बस में साथ आ रही थी। 

जब वे बस से यात्रा कर रहे थे तो एक जगह बस स्टाप पर रुकने पर आरोपी (पति) पेशाब करने उतरकर बाहर गया परन्तु जब वह बस में आया तो उसके उसकी पत्नी को वहां नहीं पाया। अतः वह अपनी पत्नी को ढूँढते हुए पुनः सुसराल वापस गया लेकिन उसकी पत्नी वहां नहीं थी। उसकी पत्नी की लाश कुंए में पाई गई थी। पुलिस ने आरोपी के विरुद्ध IPC की धारा 304ब (दहेज हत्या) एवं 498A (दहेज मांग) का मामला दर्ज किया एवं न्यायालय द्वारा ट्रायल भी चलाया गया।

न्यायालय ने आरोपी को धारा- 304ब के अपराध के आरोप से मुक्त करते हुए अभिकथन किया कि घटनास्थल पर आरोपी का न पाया जाना एवं पत्नी का पता लगाने हेतु पुनः ससुराल जाना यह साबित करता है कि पत्नी की मृत्यु करना या आत्महत्या करने के लिए उकसाने में आरोपी का कोई हाथ नहीं था, लेकिन उसका दहेज की माँग करना साबित होता है इसलिए उसे 498-क के खंड (ख) के अंतर्गत दण्डित किया गया। लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।

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