वे कौन-कौन से अपराध है जिनकी FIR पुलिस अधिकारी को लिखना ही होगा जानिए - legal advice

भारतीय दण्ड संहिता, 1860 में वर्ष 2013 में संशोधन कर एक नया खण्ड धारा 166A में जोड़ा गया खण्ड (ग) एवं नए कानून भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 199 की उपधारा 03 में इस कानून को पुन: प्रतिस्थापित किया, इस धारा के अनुसार अगर कोई पुलिस अधिकारी निम्न अपराध:-

1. ऐसिड द्वारा चोट करने की, ऐसिड फेंकने की, ऐसिड फेंकने के प्रयास मात्र की, 
2. महिला के पीछा करने के अपराध की, महिला के जबरदस्ती वस्त्र उतारने वाले की, महिला के खिलाफ बल प्रयोग करने की, महिला को शब्दों द्वारा बुरा-भला कहने वाले अपराध की, 
3. व्यक्ति का व्यापार करने वाले अपराध की, व्यापरियों द्वारा बालकों का शोषण करने वालों की, 
4. महिला से बलात्कार करने वाले किसी भी प्रकार के अपराध की,
5. या पुनः अपराध करने वाले किसी भी अपराधी की, 
कोई भी पुलिस अधिकारी तुरंत एफआईआर दर्ज नहीं करता है तब उसके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 199(3) एवं भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 166A (3) के अंतर्गत कार्यवाही होगी।

कुछ महत्वपूर्ण जानकारी:- वर्ष 2013 के संशोधन का कारण यह था कि वर्तमान में महिलाओं के प्रति अपराधों में अत्याधिक वृद्धि हो रही है। अतः इस संबंध में शिकायत मिलने पर पुलिस द्वारा एफआईआर रजिस्टर किया जाना अनिवार्य कर दिया गया है। अगर एफआईआर सच साबित होती है तो आरोपी की गिरफ्तारी तुरंत किये जाने का प्रावधान है अगर एफआईआर झूठी सबित होती है तो पुलिस अधिकारी प्रथम अन्वेषण के बाद इस पर कार्यवाही कर सकते है।

Bharatiya Nyaya Sanhita Section 199(3) or Indian Penal Code Section 166A(3) Provision of punishment

यह अपराध संज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं अर्थात पुलिस थाने में इस अपराध के खिलाफ डायरेक्ट एफआईआर दर्ज होगी, या पीड़ित व्यक्ति को प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद (शिकायत) भी दर्ज करवा सकता है। इन अपराध की सुनवाई प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है। इस अपराध के लिए अधिकतम दो वर्ष की कारावास और जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है। लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।

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