कर्मचारी - लोक सेवको द्वारा किए गए अपराध BNS से क्यों हटाए, जानिए legal advice

भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 161 से लेकर धारा 165क तक लोक सेवक द्वारा किया गया विधि के प्रतिकूल कार्य एक दण्डनीय अपराध माना जाता था लेकिन इन अपराधों को भारतीय न्याय संहिता से हटा दिए गए हैं। 

IPC-BNS से धारा 161 से धारा 165क के अपराधों को हटाने का कारण क्या था जानिए:-

भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की उपर्युक्त धाराएँ के नियमों को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 में प्रतिस्थापित किया गया है ताकि भ्रष्टाचार विरोधी कानून को और अधिक प्रभावी तरीके से लागू किया जा सके एवं लोक सेवकों के भ्रष्टाचारी आचरण पर अंकुश लगा सके इसलिए इन अपराधों को भारतीय दण्ड संहिता, 1860 से विलोपित कर दिया गया है एवं भारतीय न्याय संहिता, 2023 में भी इन अपराधों को नहीं जोड़ा गया है।

क्या थी IPC की धारा 161 से 165क जानिए:-

1. धारा 161 (लोक सेवक द्वारा वैध काम के लिए रिश्वत लेना)।
2. धारा 162 (लोक सेवक द्वारा अवैध काम या भ्रष्टाचार करना)।
3. धारा 163 (लोक सेवक व्यक्तिगत बदला लेने के लिए भ्रस्टाचार करना)।
4. धारा 164 (लोक सेवक द्वारा रिश्वत मंगाना या भ्रष्टाचार करवाने के लिए व्यक्ति को उकसाना)।
5. धारा 165 (लोक सेवक द्वारा किसी व्यक्ति से उपहार लेना)।
6. धारा 165क (IPC की धारा 161 से 165 तक के किसी अपराध करने के लिए लोक सेवक द्वारा उकसाना)। लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।

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