पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की कृपा पात्र, पूर्व मंत्री एवं विधायक जयवर्धन सिंह के युवा साथी एवं राजगढ़ के जिला पंचायत अध्यक्ष श्री चन्दर सिंह सौधिया को जबलपुर स्थित हाई कोर्ट आफ मध्य प्रदेश के द्वारा अयोग्य घोषित कर दिया गया है। विद्वान न्यायमूर्ति मनिंदर सिंह भट्टी की एकलपीठ ने श्री चंद्र सिंह की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उनके खिलाफ जारी हुए योग्यता के नोटिस को निरस्त करने का निवेदन किया गया था।
चंद्र सिंह सौंधिया विरुद्ध मध्य प्रदेश शासन
चंद्र सिंह सौंधिया की ओर से याचिका दायर कर बताया गया कि वर्ष 2022 में हुए चुनाव में वह जिला पंचायत के अध्यक्ष पद पर विजयी हुआ। इसके बाद भोपाल की एमपी-एमएलए विशेष कोर्ट ने 19 जुलाई 2023 को सौंधिया सहित 17 लोगों को एक आपराधिक प्रकरण में एक वर्ष के कारावास की सजा सुनाई। सौंधिया ने इस फैसले के विरुद्ध अपील की। विशेष सत्र न्यायालय ने 26 जुलाई 2023 को सजा को स्थगित कर दिया। इसी बीच याचिकाकर्ता के विरुद्ध अयोग्यता की कार्रवाई को लेकर शिकायत की गई। निर्वाचन अधिकारी ने एक जनवरी 2024 को नोटिस भेजकर पूछा कि क्यों न उन्हें अध्यक्ष पद के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाए। इसे हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए दलील दी क सत्र न्यायालय ने सजा पर स्थगित कर दी है और अपील लंबित है।
कोर्ट से सजा मिलते ही जनप्रतिनिधि पद के आयोग्य हो जाता है
शासन की ओर से शासकीय अधिवक्ता प्रियंका मिश्रा ने दलील दी कि नियम के अनुसार सजा मिलते ही याचिकाकर्ता पद पर बने रहने के लिए आयोग्य हो जाता है। उन्होंने हाई कोर्ट द्वारा शिव सिंह रावत विरुद्ध मप्र सरकार में दिए गए न्यायदृष्टांत का हवाला देते हुए कहा कि सजा मिलने पर पदाधिकारी एक दिन भी पद पर बने रहने का अधिकारी नहीं होता। सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने सौंधिया की याचिका निरस्त कर दी।
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