मध्य प्रदेश के जबलपुर में पुलिस थाने के बाहर खुले आम रिश्वत ले रहे प्रधान आरक्षक श्री उर्मिलेश ओझा को लोकायुक्त पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। हवलदार साहब भी कैसे व्यक्ति से रिश्वत मांग रहे थे, जिसके पास कर्ज चुकाने के लिए पैसे नहीं थे। आर्थिक तंगी से जूझ रहा पीड़ित रिश्वत की रकम के साथ लोकायुक्त पुलिस की टीम भी ले आया।
लेनदार ने पुलिस थाने में शिकायत कर दी थी
लोकायुक्त पुलिस की ओर से बताया गया है कि, रिज रोड निवासी संदीप यादव ने वर्ष 2019 में एक व्यक्ति से जमीन का सौदा किया था। इस दौरान संदीप को उक्त व्यक्ति ने कुछ रुपये दिए लेकिन बाद में सौदा रद्द हो गया। संदीप को उक्त व्यक्ति को कुछ रकम देनी थी, लेकिन रुपये न होने के कारण संदीप रुपए नहीं लौटा पा रहा था। इसके चलते उक्त व्यक्ति ने मामले की शिकायत गोराबाजार पुलिस से की।
थाने के अधिकारियाें ने इस शिकायत की जांच हवलदार उर्मिलेश ओझा को दी। शिकायत मिलने के बाद हवलदार ओझा ने संदीप से संपर्क किया और उक्त व्यक्ति की पूरी रकम लौटाने का दबाव बनाने लगा। इतना ही नहीं हवलदार ओझा ने उसे यह भी धमकी दी कि यदि वह उक्त व्यक्ति की रकम नहीं लौटाता और उसे 50 हजार रुपये नहीं देता, तो उसके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया जाएगा। इसके बाद संदीप ने मामले की शिकायत लोकायुक्त संगठन से की।
लेनदेन के लिए थाने के बाहर बुलाया
संदीप ने हवलदार ओझा से बातचीत की। सौदा 40 हजार रुपये में तय हुआ। रिश्वत की रकम लेकर हवलदार ने संदीप को गुरुवार रात थाने के बाहर चौराहे पर बुलाया। यह जानकारी संदीप ने लोकायुक्त संगठन के अधिकारियों को पहले ही दे दी थी। वे पहले से वहां पहुंच गए। जैसे ही संदीप ने हवलदार ओझा को 40 हजार रुपये दिए, वहां मौजूद टीम ने ओझा को दबोच लिया।
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