Legal general knowledge and law study notes
भारत में अनुशासन बनाए रखने के लिए कई प्रकार के नियम और कानून है। कई बार किसी एक नियम का पालन करने के लिए किसी दूसरे नियम का उल्लंघन करना पड़ता है। न्यायालय अथवा सरकारी आदेश का पालन करने के लिए कुछ ऐसा करना पड़ता है जिसे किसी दूसरे कानून की दृष्टि से अपराध माना जाता है। यदि ऐसी स्थिति में कोई मुकदमा दर्ज हो जाए, तो लोक सेवक, सरकारी अधिकारी अथवा कर्मचारी, अथवा आम नागरिक को सजा मिलेगी या क्षमा, यहां पढ़िए:-
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 16, भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 78 की परिभाषा
यदि कोई शासकीय सेवक, अधिकारी अथवा कर्मचारी, अथवा कोई सामान्य नागरिक न्यायालय के आदेश का पालन कर रहा है, और यह कर्म भारतीय न्याय संहिता अथवा भारतीय दंड संहिता की किसी अन्य धारा के तहत अपराध की श्रेणी में आता है, तब ऐसे शासकीय अधिकारी, कर्मचारी अथवा सामान्य नागरिक को भारतीय न्याय संहिता की धारा 16 और भारतीय दंड संहिता की धारा 78 के तहत संरक्षित किया जाता है। उसे अपराधी नहीं माना जाता।
सरल हिंदी भाषा में उदाहरण से समझिए
न्यायालय से किसी व्यक्ति के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी होता है और पुलिसकर्मियों वारंट का पालन करते हुए संबंधित व्यक्ति को हिरासत में लेता है, तो यह कर्म, अपहरण का अपराध नहीं माना जाएगा।
यदि किसी अवसर विशेष पर शांति की स्थापना के लिए मजिस्ट्रेट किसी व्यक्ति को सीमित समय के लिए किसी एक स्थान पर निरुद्ध रखने का आदेश देता है। तो आदेश के पालन में किया गया कर्म, किसी को बंधन बनाने का अपराध नहीं माना जाएगा।
मामला: रामजी बनाम राज्य, 1959, इलाहाबाद उच्च न्यायालय
राम जी नाम के व्यक्ति को, हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। राम जी ने माननीय उच्च न्यायालय को बताया कि उसने, पुलिस के आदेश का पालन करने के लिए उसे व्यक्ति की हत्या कर दी थी। दरअसल, पुलिस ने राम जी को आदेश दिया था कि वह उसे व्यक्ति को हिरासत में लेकर पुलिस थाने तक आए। उसे किसी भी कीमत पर ना छोड़े। रास्ते में उसे व्यक्ति ने हिरासत से भागने का प्रयास किया और उसे रोकने की प्रक्रिया में, उसे व्यक्ति की मृत्यु हो गई। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने रामजी को बरी कर दिया। न्यायालय ने यह माना कि रामजी ने पुलिस के आदेश का पालन करते हुए उस व्यक्ति की हत्या की थी। रामजी ने यह भी साबित किया था कि वह सद्भावपूर्वक विश्वास करता था कि पुलिस को उस व्यक्ति को गिरफ्तार करने की अधिकारिता थी।
The Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 section 16, Indian Penal Code, 1860 section 78 Punishment
उपर्युक्त उदाहरण से यह स्पष्ट होता है कि न्यायालय के आदेश या निर्णय का पालन करवाना किसी भी तरह से अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। ऐसे व्यक्ति के प्रति कोई परिवाद दायर करता है तो न्यायालय के आदेश या निर्णय के पालन करवाने वाले व्यक्ति को धारा-78 एवं नए कानून BNS की धारा 16 के अनुसार क्षमा किया जायेगा एवं किसी भी प्रकार के अपराध का दोषी नहीं माना जाएगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665 , इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com