मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने राजधानी भोपाल में विकास के नाम पर जो बीआरटीएस कॉरिडोर बनाया था। वह पूरी तरह से फेल साबित हुआ। 600 एक्सीडेंट और 90 लोगों की मृत्यु के बाद बीआरटीएस कॉरिडोर तोड़ा जा रहा है। सरकार ने उस पर पब्लिक के 660 करोड रुपए खर्च कर दिए। इस अनाप-शनाप खर्चे के कारण नगर निगम भोपाल के पास अब झाड़ू खरीदने के लिए भी पैसे नहीं है।
90 लोगों की मौत के बाद भी मानने को तैयार नहीं थे, BRTS कॉरिडोर फेल हो गया है
उच्च पदों पर बैठे हुए लोगों का बदलना क्यों जरूरी होता है। आप इस बात से समझ सकते हैं कि भोपाल की बीआरटीएस कॉरिडोर में इंजीनियरिंग की गड़बड़ी के कारण 600 एक्सीडेंट हुए और 90 लोगों की मृत्यु हो गई, लेकिन इसके बाद भी मुख्यमंत्री और इससे जुड़े हुए प्रशासनिक अधिकारी, यह मानने के लिए तैयार नहीं थे कि भोपाल का बीआरटीएस कॉरिडोर फेल हो गया है। जब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बदले तब कहीं जाकर कॉरिडोर को तोड़ने का काम शुरू हो पाया। मामा यदि मुख्यमंत्री बने रहते तो बहन, बहनोई और भांजे भाइयों की एक्सीडेंट में मौत का सिलसिला चलता रहता।
नगर निगम भोपाल में झाड़ू खरीदने के लिए भी पैसे नहीं
विकास के नाम पर अनावश्यक खर्च करने के कारण मध्य प्रदेश शासन के नगरीय विकास विभाग के पास अब एक भी पैसा नहीं है। दिनांक 1 अप्रैल तक कोई खर्चा नहीं किया जा सकेगा। जो कुछ उधारी में हो सकता है, केवल वही किया जाएगा। स्थिति यह है कि अस्थाई कर्मचारी और मजदूरों को देने के लिए भी नगर निगम भोपाल के पास पैसे नहीं बचे। बीआरटीएस कॉरिडोर अकेला नहीं है जहां पर लोगों की आपत्ति के बावजूद पैसा खर्च किया गया बल्कि और भी कई प्रकार के अनावश्यक खर्च किए गए हैं।
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