Legal general knowledge and law study notes
अगर कोई व्यक्ति, किसी अन्य व्यक्ति के खिलाफ जानबूझकर मिथ्या (झूठी) एफआईआर दर्ज करवाता है। पुलिस को ऐसे अपराध की जानकारी देता है, जो हुआ ही नहीं है। अथवा किसी अपराध में, किसी ऐसे व्यक्ति के शामिल होने का दावा करता है जो अपराधी नहीं है। जिससे किसी निर्दोष व्यक्ति को क्षति होने की संभावना हो, तब यह एक अपराध होगा, जानिए-
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 211 की परिभाषा
जो कोई व्यक्ति किसी निर्दोष व्यक्ति को फंसाने के लिए कोई झूठा आरोप लगाता है या पुलिस थाने में मिथ्या शिकायत करता है कोई आपराधिक मामला दर्ज करवाता है जो पूर्णतः गलत है तब ऐसा करने वाला व्यक्ति भारतीय दण्ड संहिता की धारा 211 के अंतर्गत अपराधी घोषित किया जाएगा और न्यायालय द्वारा दंडित किया जाएगा।
Indian Penal Code, 1860 section 210 Punishment
इस धारा के अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं इनकी सुनवाई किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है। इस धारा के अपराध के लिए अधिकतम दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है लेकिन अगर आरोप मृत्युदंड, आजीवन कारावास, या सात वर्ष से अधिक कारावास से दण्ड के अपराध का है तब अपराधी को अधिकतम सात वर्ष की कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।
विशेष नोट:- भारतीय दण्ड संहिता की धारा 209 मिथ्या वाद के लिए है जो न्यायालय में प्रस्तुत किया जाता है है एवं भारतीय दण्ड संहिता की धारा 211 ऐसे मिथ्या आरोप के लिए है जिसकी शिकायत पुलिस थाने में दर्ज की जाती है।Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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