MADHYA PRADESH में अनुसूचित जनजाति वर्ग के सदस्यों की भूमि खरीदने के क्या नियम है, जानिए

Legal general knowledge and law study notes

यह तो सभी आम लोग जानते हैं कि किसी आदिवासी की जमीन खरीदने से पहले हमें जिला कलेक्टर लेवल के अधिकारी से अनुमति लेना आवश्यक है वरना हमारे द्वारा ली गई जमीन अवैध खरीदी के अंतर्गत आती है। आज हम आपको इसकी सम्पूर्ण जानकारी कानूनी भाषा में देगे जानिए।

मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता,1959 की धारा 165 की उपधारा 06 की परिभाषा

• कोई भी गैर आदिवासी व्यक्ति किसी भी आदिवासी समुदाय की जमीन को खरीदने से पहले कलेक्टर की अनुमति लेगा। अगर वह ऐसा नहीं करता है तो उसके द्वारा किया गया नामांतरण अवैध मना जाएगा।
• अगर कलेक्टर को लगता है कि किसी आदिवासी ने अपनी जमीन बिना उसकी अनुमति के बेच दी है तब कलेक्टर स्वयं के विवेक ऐसी नामांतरण संपति की जाँच तीन वर्ष के भीतर कर सकता है जाँच की सुनवाई के समय कलेक्टर दोनो पक्षो को सुनेगा (धारा 165 उपधारा 06 (ख)।

• जाँच में कलेक्टर सबसे पहले यह देखेगा कि जिस व्यक्ति की संपत्ति नामांतरण की गई है वह आदिवासी समुदाय का है या नहीं, या आदिवासी को दिया गया प्रतिफल पर्याप्त है या नही, या आदिवासी से जमीन झूठ बोलकर, बेईमानी, या कपट द्वारा तो नामांतरण तो नहीं की गई है। 

नोट:- मध्यप्रदेश भू-संहिता आदिवासी जमीन में पट्टा नहीं आता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665 

इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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