Legal general knowledge and law study notes
जब किसी व्यक्ति के विरुद्ध कोई सिविल मामले के संपत्ति संबंधित डिक्री पारित होती है और देनदार व्यक्ति की मृत्यु हो जाए तब पीड़ित पक्षकार किस व्यक्ति से अपनी संपत्ति की मांग करेगा जानिए।
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 की धारा 50 की परिभाषा
1. जिस व्यक्ति के खिलाफ डिक्री पारित हुई है और उसकी मृत्यु हो जाती है तो डिक्रिधारी, डिक्री पारित करने वाले न्यायालय में आवेदन कर सकेगा कि वह उसका निष्पादन मृतक के विधिक प्रतिनिधि के विरुद्ध करे।
2. अगर डिक्री मृतक के विधिक प्रतिनिधि के विरुद्ध पारित की जाती है तब विधिक प्रतिनिधि मृतक की संपत्ति जो भी है, उससे ही डिक्रिधारी की क्षतिपूर्ति अदा करेगा। स्वयं द्वारा अर्जित की गई संपत्ति से हर्जाना अदा नहीं करेगा।
Definition of the Code of Civil Procedure, 1908 section 50
कुलमिलाकर, अगर पिता किसी बैंक से लोन लेता है और डिफाल्टर हो जाने के बाद बैंक पिता के खिलाफ कोर्ट कार्रवाई करती है। न्यायालय बैंक के पक्ष में फैसला देता है और कोर्ट में केस हार जाने के बाद एवं न्यायालय के आदेश का पालन होने से पहले, पिता की मृत्यु हो जाती है तो, मृत व्यक्ति का विधिक प्रतिनिधि (ज्यादातर मामलों में उनका बेटा) पिता द्वारा अर्जित की गई संपत्ति में से बैंक का लोन चुका देगा। यदि पिता की संपत्ति से बैंक का पूरा लोन चुकता नहीं होता है तो बकाया राशि अपनी निजी संपत्ति से अदा नहीं करेगा। बैंक को बकाया रकम डूबत खाते में दर्ज करनी पड़ेगी। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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