MP NEWS- अतिथि शिक्षकों के अनुभव नियम मामले में हाई कोर्ट को घोर आपत्ति, सभी वरिष्ठ अधिकारियों को नोटिस

मध्य प्रदेश शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में अतिथि शिक्षकों के अनुभव के संबंध में आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा निर्धारित किए गए नियम को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट ने आयुक्त लोक शिक्षण द्वारा बनाए गए नियम पर घोर आपत्ति जताते हुए सभी वरिष्ठ अधिकारियों को नोटिस जारी करके 2 सप्ताह के भीतर जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।

CPI ने फॉर्म भरे होने के बाद नियम जारी किए

याचिकाकर्ता अभिषेक त्रिपाठी एवं अन्य की ओर से अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर में WP 12549/2023 दाखिल की। उन्होंने हाईकोर्ट को बताया कि, जनजातीय कार्य विभाग में की जा रही है प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में नोडल एजेंसी लोक शिक्षण संचालनालय के आयुक्त द्वारा एक नियम निर्धारित किया गया जिसके तहत 27 फरवरी 2023 के बाद दिनांक 2 मई 2023 को नियम पुस्तिका जारी की गई तथा प्राथमिक शिक्षकों को, अतिथि शिक्षक कोटे के अभ्यर्थियों को ऑनलाइन फॉर्म जमा करने की तारीख 2 मई से 8 मई 2023 निर्धारित की गई। इसमें 31 मार्च 2023 तक का अनुभव मान्य किए जाने का नियम फॉर्म भरने की लास्ट डेट निकल जाने के बाद दिनांक 15 जून 2023 को जारी किया गया। 

शासन के नियम के विरुद्ध अपने नियम बना दिए

इसके कारण हजारों अतिथि शिक्षक फॉर्म भरने से वंचित हो गए। जिन उम्मीदवारों ने अतिथि शिक्षक कोटे में फॉर्म दाखिल किया उनके फॉर्म यह कहते हुए निरस्त कर दिए गए कि उनका निर्धारित 3 शैक्षणिक सत्र का अनुभव 31 मार्च 2023 की स्थिति में पूरा नहीं हो रहा है। जबकि शासन का नियम स्पष्ट प्रावधान इत करता है कि फॉर्म दाखिल किए जाने की तारीख को अभ्यर्थी के पास चाही गई समस्त योग्यता अनिवार्य है। 

शासन के उपरोक्त नियम के विपरीत आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा नया नियम जारी कर दिया जिसके तहत अब धरती के पास फॉर्म दाखिल किए जाने की तारीख से 2 महीने पहले समस्त निर्धारित योग्यता होना अनिवार्य है। 

आज दिनांक 28 जुलाई को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में चीफ जस्टिस रवि मालिमठ एवं जस्टिस अरुण शर्मा की खंडपीठ द्वारा सुनवाई की गई। मुख्य न्यायमूर्ति ने कमिश्नर डीपीआई द्वारा बनाए गए नियम पर घोर आपत्ति लेते हुए स्कूल शिक्षा विभाग तथा ट्राईबल वेलफेयर मिनिस्ट्री के प्रमुख सचिव सहित कमिश्नर डीपीआई तथा कमिश्नर जनजातीय कार्य विभाग भोपाल को कारण बताओ नोटिस जारी करके 2 सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है। 

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