MP NEWS- दमोह कलेक्टर पर कोर्ट की नेगेटिव टिप्पणी, क्लीनचिट वाले ट्वीट का मामला

Mayank Agrawal IAS- bureaucracy news and gossip

गंगा जमना स्कूल मामले में दमोह की कोर्ट ने कलेक्टर श्री मयंक अग्रवाल एवं एसपी श्री राकेश कुमार सिंह द्वारा जारी किए गए बयान और ट्वीट को लेकर नेगेटिव कमेंट किया है। मामले में आरोपियों ने दावा किया था कि कलेक्टर ने क्लीन चिट दे दी है इसलिए जमानत दी जाए। कलेक्टर द्वारा बयान जारी किया गया था परंतु असल में जांच हुई नहीं थी। 

दमोह कोर्ट ने कलेक्टर-एसपी को तलब कर लिया था

जिला लोक अभियोजक मुकेश जैन ने बताया कि गंगा जमना स्कूल मामले में आरोपित बनाए गए तीनों आरोपितों में मेथ्स टीचर अनस अतहर, चौकीदार रुस्तम अली तथा प्राचार्य अप्सा शेख के द्वारा जमानत याचिका लगाई गई थी। उन्होंने दलील दी थी कि, कलेक्टर ने बयान जारी करके इस मामले में क्लीन चिट दे दी है। प्रमाण के तौर पर दमोह कलेक्टर की ऑफिशल टि्वटर हैंडल पर कलेक्टर का बयान एवं ट्वीट प्रस्तुत किए गए थे। इस मामले में न्यायालय के द्वारा बुधवार को दमोह कलेक्टर तथा एसपी को भी तलब किया गया था और सभी के तर्कों को सुनकर न्यायालय ने आरोपितों कि ज़मानत याचिका ख़ारिज कर दी। 

कलेक्टर एसपी ने किया ट्वीट किए थे जिस पर कोर्ट को आपत्ति हुई

कलेक्टर के ट्वीट पर एसपी द्वारा भी समर्थन किया गया था। कलेक्टर का ट्वीट सीएम शिवराज सिंह चौहान एवं जनसंपर्क संचालनालय को भी टैग किया गया था। इसमें लिखा था कि, गंगा जमुना स्कूल के एक पोस्टर को लेकर कुछ लोगों द्वारा फैलायी जा रही जानकारी को लेकर थाना प्रभारी कोतवाली और जिला शिक्षा अधिकारी से जाँच कराने पर तथ्य ग़लत पाये गये। जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसी ट्वीट के कमेंट में एसपी दमोह द्वारा लिखा गया था "जांच पर आरोप सिद्ध नहीं हुए"। 

न्यायालय ने कहा कि जांच के बिना अधिकारियों को इस प्रकार के ट्वीट और बयान जारी नहीं करने चाहिए। न्यायालय ने कहा कि इस प्रकार के ट्वीट सामाजिक कानून व्यवस्था के विपरीत हैं। आरोपियों की जमानत याचिका खारिज करते हुए न्यायालय ने कलेक्टर एसपी के प्रति नेगेटिव टिप्पणी लिखी है। 

यह है वह ट्वीट, जो कोर्ट में गलत पाया गया

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