राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए जीवन समर्पित कर देने वाले प्रोफ़ेसर कप्तान सिंह सोलंकी ने अपने बेटे श्री राजेश सोलंकी के चुनाव अभियान की कमान संभाल ली है। सबसे पहली प्रतियोगिता अपनी ही पार्टी में श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों से है परंतु कप्तान को भरोसा है कि महाराज, उनके नाम पर ना नहीं कर पाएंगे।
श्री राजेश सोलंकी लंबे समय से विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। 26 जनवरी को उन्होंने अपने स्तर पर तिरंगा यात्रा निकाली थी। कई मंदिरों में बड़े धार्मिक आयोजन कर चुके हैं। ना केवल जनता का बल्कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का भी ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। पिछले कुछ समय में श्री राजेश सोलंकी ने यह साबित किया है कि वह जनता के नेता हैं, प्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी के पुत्र होने के नाते दावेदारी नहीं कर रहे हैं। इधर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने श्री सोलंकी के कार्यक्रमों से दूरी बनाकर रखी है। इसके चलते प्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी ने मोर्चा संभाल लिया।
फुल बाद में बड़ी राम कथा का आयोजन किया गया है। इस कार्यक्रम के माध्यम से सोलंकी परिवार ने सभी के सामने अपनी लोकप्रियता को प्रमाणित किया है। सनद रहे कि प्रोफ़ेसर कप्तान सिंह सोलंकी भारतीय जनता पार्टी में मध्यप्रदेश के संगठन महामंत्री रहे हैं। इसके अलावा केंद्र सरकार ने उन्हें राज्यपाल भी बनाया था। यह पहली बार है जब प्रोफेसर सोलंकी चुनावी राजनीति में अपने पुत्र के लिए सीधे दखल दे रहे हैं।
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