मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा शिक्षक चयन परीक्षा के लिए 40 वर्ष से अधिक आयु वाले उम्मीदवारों को शामिल करने हेतु होटल खोलने का अंतरिम आदेश दिया गया था परंतु मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल, भोपाल द्वारा आदेश का पालन नहीं किया गया। आज कोर्ट में शासन एवं याचिकाकर्ताओं के वकीलों के बीच तीखी बहस हुई। मध्य प्रदेश सरकार के वकील ने हाईकोर्ट के आदेश को अनुचित करार दिया। हाईकोर्ट ने शासन को 16 जून तक का समय दिया है। साबित करें कि आदेश अनुचित है अथवा पोर्टल नहीं खोलने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
सामान्य प्रशासन विभाग में आयु सीमा बढ़ाई थी
मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल, भोपाल द्वारा उच्च माध्यमिक शिक्षक की पात्रता परीक्षा हेतु, अधिकतम आयु 42 वर्ष रखी थी। सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश दिनांक 18/9/22, द्वारा पिछले तीन वर्षों में कोई पात्रता/चयन परीक्षा संचालित नही होने के कारण तीन वर्षों की छूट प्रदान की गई थी। छूट के आधार पर अभ्यर्थी साल 2018 एवम 2023 उच्च माध्यामिक शिक्षक पात्रता परीक्षा में शामिल होकर क्वालीफाई घोषित हुए। उल्लखेनीय है की पूर्व में कर्मचारी चयन मंडल मध्य प्रदेश द्वारा मध्य प्रदेश शिक्षक चयन परीक्षा का प्रावधान नहीं था।
वर्तमान में कर्मचारी चयन मंडल, भोपाल द्वारा चयन परीक्षा आयोजित की जा रही है। शिक्षक पात्रता परीक्षा में पास अभ्यर्थी ही इसमें आवेदन के पात्र हैं परंतु मंडल द्वारा, सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश के विपरीत, उच्च माध्यमिक शिक्षक हेतु अधिकतम आयु 40 (अनारक्षित) अधिरोपित की गई है। आरक्षित वर्ग हेतु, आयु 42 साल है। कर्मचारी चयन मंडल के नए नियम के अनुसार एवम परिणामस्वरूप पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण अभ्यर्थी चयन परीक्षा में शामिल होने से वंचित हैं।
ओवरएज घोषित किए जाने से पीड़ित, विक्रांत राजपूत, नर्मदापुरम से, मुकेश राठौर, विदिशा से, मुकेश झरिया, सिवनी से, सीमा रोहित सागर से, , सरिता पाठक, दमोह से, विनोद विश्वकर्मा, दमोह से, संदीप रावत, विदिशा से, दृष्टिपाल सिंह परिहार भोपाल से, शरद यादव, नरसिंहपुर से, श्रीमती ज्ञान देवी रीवा से द्वारा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा संचालित चयन परीक्षा में शामिल होने हेतु, याचिका दायर की गई थीं।
वादियों के वकील अमित चतुर्वेदी उच्च न्यायालय जबलपुर ने बताया कि आज दिनांक 12 जून को सुनवाई हुई, जिसमे शासन के वकील ने आरोप लगाया की याचिका कर्ताओं द्वारा सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश की गलत व्याख्या करके, कोर्ट को गुमराह करके फॉर्म भरने की राहत ली गई है। अधिवक्ता अमित चतुर्वेदी एवम अन्य वकीलों द्वारा कोर्ट को बताया कि शासन बिना किसी दस्तावेज के निराधार बयान दे रहा है। शासन का उद्देश्य याचिकाकर्ता को चयन परीक्षा में शामिल होने से वंचित करना है। पूर्व में पारित आदेश के पालन के लिए पोर्टल नही खोला गया है। इसके अलावा वर्तमान याचिकाकर्ता को समान राहत प्राप्त करने का अधिकार है।
सुनवाई के बाद, कोर्ट ने शासन को तीन दिन का समय दिया है एवम निर्देश दिया है की शासन हलफनामा दायर करें की कैसे, याचिकाकर्ता आयु में छूट के पात्र नही है। कोर्ट द्वारा कहा गया है कि 10 याचिका कर्ताओं को अंतरिम राहत देने एवम पोर्टल खोलने के प्रश्न पर सुनवाई 16 जून को की जायेगी। शासन से पूछा गया की कोर्ट के आदेश का पालन क्यों नही हुआ, उत्तर दिया जावे। अन्य उत्तरदायी लोगो के विरुद्ध कार्यवाही पर विचार होगा। उल्लेखनीय है कि कोर्ट के आदेश का लाभ मात्र याचिका कर्ताओं को ही प्राप्त होगा।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील अमित चतुर्वेदी के अनुसार, समान प्रकृति की याचिकाओं में अंतरिम आदेश जारी कर, उच्च न्यायालय ने याचिकर्ता के फॉर्म को स्वीकार किए जाने का आदेश जारी किया था अर्थात, कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित चयन परीक्षा की आयु सीमा छूट विवाद में उच्च न्यायालय जबलपुर ने कुछ कथित ओवर एज याचिका कर्ता अभ्यर्थियों के आवेदन को स्वीकार करने के अंतरिम निर्देश जारी थे हैं। आदेश के अपालन एवम पोर्टल खोलने पर 16 जून को सुनवाई है।
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