Article 46- भारत में आरक्षण को संवैधानिक अधिकार बनाने वाला अनुच्छेद पढ़िए

article 46 of indian constitution in hindi

भारत की स्वतंत्रता के समय अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग की भिन्न प्रकार की समस्याएं थी। डॉक्टर अंबेडकर के सामने सबसे बड़ी चिंता यह थी कि, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोग अपने बच्चों को पढ़ाना ही नहीं चाहते थे क्योंकि उन्हें शिक्षा का महत्व ही नहीं पता था। इसलिए भारत के संविधान में एक ऐसा प्रावधान किया गया जिसने भारत की राज्य सरकारों को निर्देशित किया कि वह अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों के जीवन स्तर को समानता पर लाने के लिए काम करेंगे।

भारतीय संविधान अधिनियम,1950 के अनुच्छेद 46 की परिभाषा

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 46 राज्य की यह नीति बनाने के लिए निर्देशित करता है कि राज्य दुर्बल कमजोर वर्गों, अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति वर्गों के लिए शिक्षा एवं आर्थिक संबंधी हितों की वृद्धि करेगा एवं इनको सामाजिक न्याय दिलवाए एवं सभी प्रकार के शोषण से उनकी रक्षा करे।

निष्कर्ष 
भारत में, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को जो अनुच्छेद 15(4) में आरक्षण प्राप्त है एवं भारत में जो अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार अधिनियम 1989 एवं अनुसूचित जाति, जनजाति राहत अधिनियम एवं बहुत सारी अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं राज्य लागू करता है वह इसी अनुच्छेद 46 के नीति निदेशक तत्व के द्वारा ही करता है क्योंकि उक्त वर्गों का जीवन स्तर को ऊपर उठाना राज्य का दायित्व है। यानी उपरोक्त क्रियाकलाप किसी की दया या उपकार नहीं है बल्कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति के संवैधानिक अधिकार हैं। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665

इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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