Settlement between a retarded or minor victim and the offender
दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 320 (1) के तहत आने वाले अपराधों में न्यायालय की जानकारी के बाहर समझौता किया जा सकता है और सीआरपीसी की धारा 320 (2) में सूचीबद्ध मामलों में न्यायालय की अनुमति के बाद समझौता किया जा सकता है परंतु अगला प्रश्न यह है कि यदि पीड़ित पक्ष कर मंदबुद्धि है अथवा नाबालिग है अथवा मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है, तब पीड़ित और अपराधी के बीच किस प्रकार से समझौता किया जा सकता है, जानिए:-
CrPC 1973 की धारा 320(4) की उपधारा (क) की परिभाषा
अगर कोई पीड़ित व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है या जड़ बुद्धि वाला है या 18 वर्ष की कम आयु का है अथवा किसी भी प्रकार से यह प्रमाणित होता है कि वह वैधानिक रूप से किसी भी विषय में निर्णय करने की योग्य नहीं है और किसी अपराधी को शमनीय अपराध में समझौता करना है। तब न्यायालय की आज्ञा से अपराधी का समझौता होगा।
सरल शब्दों में कहें तो अपराध किसी ने प्रकार का हो परंतु ऐसी स्थिति में सीआरपीसी की धारा 320(1) के तहत किसी भी प्रकार का राजीनामा नहीं हो सकता। उपरोक्त परिस्थिति में सीआरपीसी की धारा 320-1 शिथिल हो जाती है और उसकी जगह सीआरपीसी की धारा 320-2 लागू हो जाती है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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