Legal Advice- कानून किस प्रकार के व्यक्तियों को किसी भी समझौते के अयोग्य मानता है CrPC 320-7

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दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 320(1) एवं 320(2) में शमनीय अपराध में अपराधी को समझौता करने का कानूनी अधिकार प्राप्त है। वह न्यायालय के बाहर या न्यायालय की आज्ञा के समझौता कर सकते है और ऐसी स्थिति में होने निर्धारित सजा से मुक्ति मिल जाती है। लेकिन कुछ ऐसी शर्त भी है जिसमें आरोपी शमनीय अपराध में न्यायालय की आज्ञा से एवं पक्षकार की अनुमति के भी समझौता नहीं कर सकता है जानिए।

दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 320(7) की परिभाषा

अगर कोई व्यक्ति किसी अपराध में पहले से ही दण्डित किया जा चुका हो या किसी अपराध की सजा काट चुका हो तब ऐसे व्यक्ति का शमनीय अपराध में समझौता नहीं किया जा सकता है।

साधरण शब्दों में कहे तो कोई व्यक्ति चोरी के अपराध की सजा काट चुका है एवं दोबारा सामान्य उपहति के मामले में उसे सजा दे दी गई है तब वह व्यक्ति अपराध का समझौता नहीं कर सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665

इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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